प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज और कल यानी 14 और 15 दिसम्बर को नई दिल्ली में देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। यह सम्मेलन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग और समन्वय को और बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। प्रधानमंत्री मोदी की सहकारी संघवाद की दृष्टि से प्रेरित यह आयोजन तीव्र गति से राज्यों का विकास सुनिश्चित करने का प्रयास है।
भारत सरकार के पत्र एवं सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा जारी जानकारी के मुताबिक यह सम्मेलन ‘उद्यमिता, रोजगार और कौशल को बढ़ावा देना-जनसांख्यिकी लाभांश का लाभ उठाना’ विषय पर केंद्रित होगा। इसमें केंद्र और राज्यों के साथ साझेदारी में एक साझा विकास एजेंडा तैयार करने और उसे लागू करने की रूपरेखा तय की जाएगी। इसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थायी रोजगार के अवसर सृजित करते हुए देश की जनसंख्या के लाभकारी पहलुओं का उपयोग करना है।
सम्मेलन में छह प्रमुख क्षेत्रों पर होगी विस्तृत चर्चा
सम्मेलन के दौरान छह प्रमुख क्षेत्रों पर विस्तृत चर्चा होगी, जिनमें विनिर्माण, सेवा क्षेत्र, ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र, शहरी विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और परिपत्र अर्थव्यवस्था शामिल हैं। इसके अलावा, विकसित भारत के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकी का उपयोग, आर्थिक विकास केंद्रों के रूप में शहरों का विकास, राज्यों में निवेश बढ़ाने के लिए आर्थिक सुधार और मिशन कर्मयोगी के माध्यम से क्षमता निर्माण पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
सम्मेलन के दौरान भोजन सत्रों में भी महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श होगा। इनमें कृषि में आत्मनिर्भरता के लिए खाद्य तेल और दालों का उत्पादन बढ़ाने, वृद्ध आबादी के लिए देखभाल अर्थव्यवस्था, पीएम सूर्य घर योजना के तहत नि:शुल्क बिजली योजना के कार्यान्वयन और भारतीय ज्ञान परंपरा के संवर्धन जैसे विषय शामिल हैं।
गौरतलब है कि यह सम्मेलन वर्ष 2022 में शुरू हुआ था जब पहली बार इसे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित किया गया था। इसके बाद जनवरी 2023 और दिसंबर 2023 में दो सम्मेलन नई दिल्ली में हुए। इस बार का आयोजन केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी को नई ऊंचाई देने के उद्देश्य से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह सम्मेलन न केवल सहकारी संघवाद को मजबूती देगा, बल्कि विकास की दिशा में एकीकृत और समन्वित प्रयासों को प्रोत्साहित करेगा।