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17/07/23 | 3:47 pm

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5 वर्षों में 13.5 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से हुए मुक्त: नीति आयोग

2015-16 और 2019-21 के बीच देश में बहुआयामी गरीबी में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या 24.85% से गिरकर 14.96% हो गई है। यानी कुल 9.89% अंकों की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। सोमवार 17 जुलाई 2023 को नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक में इसका खुलासा किया गया। 

2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की ओर अग्रसर भारत 

नई दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने कहा, 5 साल में 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए हैं। उन्होंने कहा, भारत 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को निर्धारित समय से बहुत पहले हासिल करने की ओर अग्रसर है। 

ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 19.28 प्रतिशत 

केवल इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 32.59 प्रतिशत से तेजी से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है। उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोगों के साथ गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है, इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है। 

इन राज्यों में गरीबी के अनुपात में सबसे तेज कमी दर्ज 

36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में देखी गई। 

गरीबी कम करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका 

रिपोर्ट में कहा गया है कि पोषण में सुधार, स्कूली शिक्षा के वर्षों, स्वच्छता और खाना पकाने के ईंधन ने गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक से मिला सुधार योजनाओं को आकार 

बताना चाहेंगे कि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के आधार पर गरीबी को परिभाषित करने वाला एक समग्र उपाय है और राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर गरीबी का अनुमान लगाता है, जो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सुधार योजनाओं को आकार देता है। 

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभावों को मापता है- जो 12 एसडीजी-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाया गया है। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं, इन सभी में उल्लेखनीय सुधार देखे गए हैं।

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आखरी अपडेट: 1st Feb 2025