इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में बाढ़ की तबाही से मरने वालों की संख्या बढ़कर 52 हो गई है। बचावकर्मियों ने मंगलवार (14 मई) को बाढ़ प्रभावित गांवों में मलबे में लोगों की तलाश जारी रखी। जानकारी के मुताबिक मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। मानसून की भारी बारिश, भूस्खलन और माउंट मेरापी से निकले लावे ने शनिवार आधी रात से ठीक पहले पश्चिमी सुमात्रा प्रांत के चार जिलों में कहर बरपा दिया था।
मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहारी ने कहा कि बाढ़ में बड़ी संख्या में लोग बह गए और घर व इमारतें जलमग्न हो गईं। 3,300 से अधिक लोगों को अस्थायी सरकारी सहायता केंद्रों में जाना पड़ा है। मुहारी ने कहा कि मंगलवार तक मलबे से 52 शवों को निकाला जा चुका है। बचावकर्मी उन 20 लोगों की तलाश कर रहे हैं, जो लापता हैं। इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में भारी बाढ़ से मची तबाही में अब तक बचावकर्मियों ने कीचड़ में फंसे 50 से ज्यादा शवों को बाहर निकाला हैं, फिलहाल, अभी करीब 52 लोगों की मौत की पुष्टि की जा रही है, मौत का यह आंकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि बचाव टीम कुछ इलाकों में अभी पहुंच नहीं पा रही है। इस संबंध में प्रांतीय राजधानी पडांग में खोज और बचाव कार्यालय के प्रमुख अब्दुल मलिक ने कहा कि दूरदराज के इलाकों में अभी भी पहुंच संभव नहीं है, इसलिए मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
आगामी दिनों में अधिक बारिश होने का अनुमान
इंडोनेशिया की मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान और भू-भौतिकी एजेंसी ने कहा कि आगामी दिनों में पश्चिम सुमात्रा प्रांत में और अधिक बारिश होने का अनुमान है। अभी अगले हफ्ते तक इसी तरह से बारिश होती रहेगी इसलिए आशंका है कि फ्लैश फ्लड, भूस्खलन, कोल्ड लावा का बहाव हो सकता है। इसमें पत्थरों के साथ पानी और ज्वालामुखीय राख भी बहकर साथ में आएगी। इंडोनेशिया के ‘सेंटर फॉर वोल्केनोलॉजी एंड जियोलॉजिकल डिजास्टर मिटिगेशन’ के अनुसार, माउंट मेरापी ज्वालामुखी को अचानक विस्फोटों के लिए जाना जाता है। मेरापी में विस्फोटों का अनुमान लगाना मुश्किल है, क्योंकि स्रोत उथला है और शिखर के पास है।
मेरापी ज्वालामुखी है सक्रिय
बता दें कि मेरापी ज्वालामुखी जनवरी 2024 में एक विस्फोट के बाद से सक्रिय है। यह इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी में से एक है। दरअसल पैसिफिक ‘रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित होने के कारण यह देश आए दिन भूकंप के झटकों का अनुभव करता रहता है। जियोलॉजिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रशांत महासागर के तटों पर प्लेट टिकटोनिक स्थिति के कारण ज्वालामुखी और भूकंप का एक बेल्ट है। इसे एक रिंग्स ऑफ फायर कहते हैं।