देश में वन्य जीव के साथ ही कीट वर्ग समूह के तीतली को बचाने की भी मुहिम चल रही है। इसी क्रम में असम में स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत का दूसरा तितली विविधता केंद्र बन गया है। इसमें 446 किस्म की तितलियां पाई गई हैं। अरुणाचल प्रदेश के नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान देश का पहला तितली विविधता केंद्र है। वर्ष 2007 से इस क्षेत्र में तितलियों का अध्ययन कर रहे डॉ. मानसून ज्योति गोगोई के मुताबिक काजीरंगा अब नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान के बाद भारत के संरक्षित क्षेत्रों में तितली प्रजातियों की विविधता में दूसरे स्थान पर है। हिमालय और पटकाई पर्वत शृंखलाओं के बाहर काजीरंगा के स्थान को देखते हुए यह रिकॉर्ड विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
पहली “तितली संरक्षण मीट-2024 का हुआ आयोजन
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि 27 से 29 सितंबर तक आयोजित पहली “तितली संरक्षण मीट-2024” ने पूरे भारत से लगभग 40 तितलियों के प्रति उत्साही लोगों को आकर्षित किया। इस कार्यक्रम में नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, कॉटन यूनिवर्सिटी, असम के विभिन्न कॉलेजों, महाराष्ट्र वन विभाग, कॉर्बेट फाउंडेशन के प्रतिनिधि और नॉर्थ ईस्ट बटरफ्लाइज़ ग्रुप के प्रमुख सदस्य शामिल थे। यह कार्यक्रम विस्तृत तितली रिकॉर्ड और तितली की स्थिति पर आगे के प्रसार पर केंद्रित था। तितली संरक्षण बैठक का उद्देश्य काजीरंगा में तितली संरक्षण के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाना है।
काजीरंगा में दर्ज तितलियों की 446 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण
तितलियों पर डॉ. ज्योति गोगोई द्वारा लिखित एक नई सचित्र गाइडबुक का लॉन्च किया गया। पुस्तक में काजीरंगा में दर्ज तितलियों की 446 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है, जिनमें से 18 भारत के लिए नए रिकॉर्ड हैं। इसमें बर्मी थ्रीरिंग, ग्लासी सेरुलियन, डार्क-बॉर्डर हेज ब्लू, अंडमान येलो बैंडेड फ्लैट, फेरर्स सेरुलियन, ग्रेट रेड-वेन लांसर, पीकॉक ओकब्लू, सिंगल्ड, लाइन्ड फ्लैश, येलो-टेल्ड अवल्किंग, व्हाइट पाम बॉब, डार्क-डस्टेड पाम डार्ट, क्लैवेट बैंडेड डेमन, पेल-मार्क्ड ऐस, येलो ओनिक्स, लॉन्ग-विंग्ड हेज ब्लू, ऐस एसपी औऱ ड्वार्फ बैंडेड डेमन शामिल हैं।