प्रतिक्रिया | Wednesday, May 07, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल रविवार को नई दिल्ली स्थित भारत रत्न सी सुब्रह्मण्यम ऑडिटोरियम, एनएएससी कॉम्प्लेक्स में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित पहली जीनोम संवर्धित चावल कि दो किस्मों- ‘डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी चावल 1’ का लोकार्पण किया। इन किस्मों से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ चावल की पैदावार को 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकेगा। बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों और किसानों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की।

इन नई फसलों के विकसित होने से उत्पादन क्षमता बढ़ेगी

केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा, आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने नई किस्सों का इजाद कर कृषि क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि अर्जित की है। इन नई फसलों के विकसित होने से उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, साथ ही पर्यावरण के संदर्भ में भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। इससे न केवल सिंचाई जल में बचत होगी, बल्कि ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन से पर्यावरण पर पड़ने वाले दबाव में भी कमी आएगी यानी आम के आम और गुठलियों के दाम के समान लाभ पहुंचेगा।

भारत को फूड बास्केट बनाने के ध्येय से काम करना होगा

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था जय जवान, जय किसान, उसमें आगे अटल जी ने जोड़ा जय विज्ञान और हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने जोड़ा जय अनुसंधान। चौहान ने आगे कहा कि आने वाले समय में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, पोषणयुक्त उत्पादन बढ़ाने और देश के साथ-साथ दुनिया के लिए खाद्यान्न की व्यवस्था करते हुए भारत को फूड बास्केट बनाने के ध्येय से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें गर्व हैं कि हम बेहतरीन काम कर रहे हैं, वैज्ञानिक बधाई के पात्र भी है, उन्नत प्रयासों का ही परिणाम है कि आज हम 48 हजार करोड़ का बासमती चावल बाहर निर्यात कर रहे हैं।

दलहन और तिलहन के उत्पादन की दिशा में वृद्धि के लिए और बढ़ाना होगा आगे कदम

शिवराज सिंह ने कहा कि सोयाबीन, अरहर, तूअर, मसूर, उड़द, ऑयल सीड की किस्मों सहित दलहन और तिलहन के उत्पादन की दिशा में वृद्धि के लिए हमें और आगे कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें माइनस 5 और प्लस 10 के फॉर्मूले को अपनाते हुए काम करना होगा। इस फॉर्मूले का मतलब है 5 मिलियन (50 लाख) हेक्टेयर चावल का एरिया कम करना है और 10 मिलियन (एक करोड़) टन चावल का उत्पादन उतने एरिया में ही बढ़ाना है। इस उद्देश्य से काम करने से जो क्षेत्रफल बचेगा, उसमें दलहन और तिलहन की खेती पर जोर दिया जाएगा।

कृषि वैज्ञानिक और किसान एक हो जाएंगे तो चमत्कार होगा

चौहान ने कहा कि किसान भाई-बहनों विशेषकर युवा किसान से आह्वान करता हूं कि उन्नत खेती के लिए सामने आए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि अनुसंधान को किसानों तक ले जाना होगा। कृषि वैज्ञानिक और किसान एक हो जाएंगे तो चमत्कार होगा।

इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने दोनों किस्मों के अनुसंधान में योगदान करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया। डीआरआर धान 100 (कमला) के अनुसंधान में योगदान के लिए डॉ. सत्येंद्र कुमार मंगरौठिया, डॉ. आर.एम सुंदरम, डॉ. आर. अब्दुल फियाज, डॉ. सी. एन. नीरजा और डॉ. एस. वी. साई प्रसाद तथा पूसा डीएसटी राइस के लिए डॉ. विश्वनाथन सी, डॉ. गोपाल कृष्णनन एस, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. शिवानी नागर, डॉ. अर्चना वत्स, डॉ. सोहम रे, डॉ. अशोक कुमार सिंह, डॉ. प्रांजल यादव व अन्य संयोजकों जिसमें राकेश सेठ, ज्ञानेन्द्र सिंह और सत्येंद्र मंगरौठिया को सम्मानित किया गया।

परिवर्तित-जीनोम वाली चावल की किस्में विकसित करने वाला भारत बना पहला देश

आपको बता दें, भारत की पहली जीनोम-संपादित चावल की किस्में- डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी राइस 1, अधिक उत्पादन, जलवायु अनुकूलता और जल संरक्षण में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं। इन नई किस्मों को जीनोम संपादन तकनीक (सीआरआईएसपीआर-कैस) आधारित जीनोम एडिटिंग तकनीक से विकसित किया गया है, जिससे जीवों के मूल जीन में सूक्ष्म बदलाव किए जाते हैं, और कोई विदेशी डीएनए नहीं जोड़ा जाता। एसडीएन 1 और एसडीएन 2 प्रकार के जीनोम एडिटिंग को सामान्य फसलों के अंतर्गत भारत सरकार के जैव सुरक्षा नियमों के तहत मंजूरी प्राप्त हो चुकी है।

 

आगंतुकों: 25747700
आखरी अपडेट: 7th May 2025