प्रतिक्रिया | Sunday, September 08, 2024

आल-राउंडर कैश क्रॉप-गेंदा बना सकती आपको धनी, इस लोकप्रिय फसल बारे में जानिए

भारत मे गेंदा फूलों मे सबसे लोकप्रिय फसल है, जिसकी खेती सरलता से साल भर की जा सकती है। गेंदा के आकर्षक फूलो, फूलों की लंबी शेल्फ लाइफ, औषधीय गुणों और वैल्यू एडेड उत्पादों की वजह से बाज़ार मे मांग साल भर बनी रहती है। गेंदे का फूल पूजा-पाठ से लेकर शादी-ब्याह और दवाइयां बनाने के इस्तेमाल में आता है।

गेंदे की पखुंड़ियों से प्राकृतिक रंग बनाया जाता है, जो की मुर्गियों को दाने के साथ मिला कर दिया जाता है और खाद्य सामग्री में केसर के विकल्प के रूप मे उपयोग किया जाता है। गेंदे के फूलों से निकले हुए तेल का बड़ी मात्रा में इत्र उद्योग मे भी प्रयोग होता है। गेंदे मे पाए जाने वाले एक विशिष्ट रसायन,
अपल्फा –टेरथिएनिल की गंध से मच्छर भाग जाते है। जिस वजह से प्राय: गेंदे के फूल लोग घर के दरवाज़ो और आस-पास की जगह इसके आकर्षक फूलों और मच्छरों की रोकथाम हेतु लगाते है। गेंदे से पाइरेथ्रोइड एवं टेरथिएनिल रसायन को निकाल कर मच्छर मारने हेतुअगरबत्ती एवं विभिन्न प्रकार की औषधियां भी बनाई जाती हैं।

गेंदे की खूबियां

एकीकृत किट प्रबंधन (Integrated पेस्ट मैनेजमेंट) और गेंदा : निमेटोड मृदा में रहने वाला एक कीट है जो फसलों की जड़ों को काफी नकुसान पहुंचाते है और उत्पादन प्रभावित करते है। गेंदे के पौधों की जड़ से खास प्रकार का रसायन, ऐलीलोकेमिकल निकलता है जिसकी वजह से मृदा में मौजूद यह निमेटोडे नष्ट हो जाते है। इसलिए निमेटोडे प्रबंधन हेतु कृषि वैज्ञानिक फसल चक्रीकरण के तहत गेंदे की खेती करने की सलाह देते है ।

फल छेदक कीट से प्रभावित सब्जी (मिर्च, बैंगन, टमाटर, मटर आदि) के खेतो की मेढ़ पर गेंदे के फूल लगाने से कीट का प्रभाव मुख्य फसल पर कम हो जाता है और कीटनाशक का कम प्रयोग करना पड़ता है। सफ़ेद माखी, जेसीड्स इत्यादि से मुख्य सब्जी फसल को बचाने हेतु कंपेनियन क्रॉप की तरह गेंदे को खेत मे लगाया जाता है। ऐसा करने से कीटो मे कीटनाशक के प्रतिरोधक क्षमता बनने से रोका जा सकता है और कीटनाशक का उपयोग कम कर सकते है।

किसानों का वैकल्पिक फसलों की ओर रुझान बढ़ा है

कैश क्रॉप के रूप मे गेंदे की खेती: खरीफ और रबी की पारंपररक फसलों की निड़ाई , बुवाई से लेकर कटाई तक में ठीक-ठाक समय लग जाने के कारण पिछले कुछ वर्षों में किसानों का वैकल्पिक फसलों की ओर
रुझान बढ़ा है। ये फसलें कम समय में ज्यादा मनुाफा देने का काम करती हैं। गेंदा भी इसी श्रेणी के तहत कैश क्रॉप के रूप मे उगाया जाता है। गेंदे की खेती की सबसे खास बात यह है कि 45 से 60 दिनों केअंदर इसकी फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और खरीफ, रबी और जायद मे इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। गेंदे का फूल और पत्तियों में औषधीय गुण समाहित होते हैं जिसकी वजह से पशुओं के द्वारा इसकी फसल को नकुसान नहीं किया जाता है। साथ ही इनके पौधों पर लाल मकड़ी और सफ़ेद मक्खी के अलावा अन्य कोई प्रमुख कीट का प्रहार नहीं होता है। जिससे इस फसल के प्रबंधन की लागत अन्य फसल की तलुना मे कम होती है। साथ ही इसके पौधे लगाने से मिट्टी के अंदर लगने वाली कई
बीमारियां भी दूर हो जाती हैं।

त्योहार और शादियों के मौसम गेंदा फूल की बढ़ जाती है मांग

गेंदा फूल का मार्केट आपके आस-पास आसानी से मिल जाता है। त्योहार और शादियों के मौसम में इस फूल की काफी मांग रहती है। ऐसे वक्त में इसकी कीमतों में ठीक-ठाक इजाफा भी देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त गेंदे से बनने वाले वैल्यू एडेड उत्पादनों की मांग को देखते हुए ऑफ सीज़न में भी किसानो को फसल का हाथों हाथ सही दाम मिल जाता है और वे अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं ।

गेंदे की खेती व्यावसायिक रूप से की जा सकती है

ऐसे मे आगामी फसल सत्र में आप भी गेंदे की खेती व्यावसायिक रूप से या बागवानी हेतु कर सकते है जिसके लिए अब भारत सरकार का उपक्रम, राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन खरीद हेतु गेंदे की उन्नत प्रजातियों के बीज़ उपलब्ध करवा रही है। भारत के किसी भी क्षेत्र से गेंदे का बीज़ ऑनलाइन आर्डर करने हेतु आप राष्ट्रीय बीज निगम की वैबसाइट www.indiaseeds.com पर उपलब्ध ऑनलाइन शॉपिंग के लिंक का प्रयोग कर सकते है। इसके अतिरिक्त आप ओएनडीसी–माईस्टोर के ऐप और नीचे दिए क्यूआर कोड के माध्यम से भी बीज़ आर्डर कर सकते है।

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आखरी अपडेट: 7th Sep 2024