संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए कई देश समर्थन कर चुके हैं। ऐसे में एक बार फिर अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा है कि भारत, जापान और जर्मनी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए। अमेरिका इसका लंबे समय से समर्थन कर रहा है। वह उसे फिर दुहरा रही हैं। उन्होंने गुरुवार को इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार संबंधी तीन प्रस्ताव पेश किए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वेबसाइट में लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड के इस प्रस्ताव का लिखित प्रारूप अपलोड किया गया है।
22 सितंबर से शुरू हो रहा है शिखर सम्मेलन
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र महासभा का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन यहां 22 सितंबर को शुरू होगा। इसका आदर्श वाक्य ‘बेहतर कल के लिए बहुपक्षीय समाधान’ है। इस पर 24 से 30 सितंबर तक आम बहस होगी। परंपरागत रूप से बहस में पहला वक्ता ब्राजील 24 सितंबर को उच्चस्तरीय सत्र की शुरुआत करेगा। दूसरा वक्ता अमेरिका होगा। मौजूदा राष्ट्रपति बाइडेन संयुक्त राष्ट्र के मंच से सदस्य देशों के नेताओं को अपने कार्यकाल का आखिरी संबोधन देंगे। वक्ताओं के संबंध में पहले कहा गया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 26 सितंबर को उच्चस्तरीय बहस में वक्तव्य देंगे। बाद में इसमें परिवर्तन किया गया कि उनके स्थान पर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर 28 सितंबर को प्रस्तावित आम बहस में वक्तव्य दे सकते हैं। इन वैश्विक नेताओं के यहां पहुंचने से कुछ दिन पहले लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका अफ्रीकी देशों को सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्यता देने के अलावा दो अफ्रीकी देशों को स्थायी सदस्य बनाने का भी समर्थन करता है।
“भारत को सदस्यता देने से इनकार करने का कोई आधार नहीं”
उन्होंने विदेश संबंध परिषद के कार्यक्रम में ‘बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र सुधार का भविष्य’ विषय पर चर्चा के दौरान घोषणा की कि अमेरिका छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के लिए सुरक्षा परिषद में एक नई सीट के सृजन का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि जी-4 में ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान हैं। चारों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए एक-दूसरे के दावों का समर्थन करते हैं। थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा, ”भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। अमेरिका परिषद में उसके शामिल होने का वास्तव में दृढ़ता से समर्थन करता है। मुझे लगता है कि भारत को सदस्यता देने से इनकार करने का कोई आधार नहीं है। मगर कतिपय लोग विभिन्न कारणों से विभिन्न देशों का विरोध करेंगे। हम आगे होने वाली बातचीत के दौरान इसपर भी बात करेंगे”
“संस्थानों को भी थोड़े से नवीकरण की आवश्यकता”
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि हमारे पास आगे बढ़ने का एक रास्ता है। अब सुधार का वक्त आ गया है। परिषद को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। दोस्त और गुरु स्वर्गीय मेडेलीन अलब्राइट के शब्दों में, “70 और उससे अधिक उम्र के लोगों की तरह, संस्थानों को भी थोड़े से नवीकरण की आवश्यकता है।” संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि दो साल पहले राष्ट्रपति बाइडेन ने घोषणा की थी कि संयुक्त राज्य अमेरिका अफ्रीका के साथ-साथ लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों को स्थायी प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए सुरक्षा परिषद के विस्तार का समर्थन करता है। साथ ही भारत, जापान और जर्मनी को स्थायी सीट प्रदान करने के समर्थन पर प्रतिबद्ध है। वक्त आ गया है कि राष्ट्रपति के इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदला जाए।
(इनपुट-हिं.स.)