अरुणाचल प्रदेश पर चीन के बेतुके बयान को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बार फिर दो टूक में कहा आधारहीन तर्क दोहराने से ऐसे दावों को कोई वैधता नहीं मिलती है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। दरअसल अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र के संबंध में चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की हालिया टिप्पणियों के जवाब में, भारत ने इन दावों को बेतुका और आधारहीन बताते हुए अपने रुख की पुष्टि की है।
यह क्षेत्र हमेशा भारतीय संप्रभुता के अधीन रहा है
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता, रणधीर जयसवाल ने मंगलवार (19, मार्च) को कहा कि अरुणाचल प्रदेश के संबंध में निराधार तर्क दोहराने से ऐसे दावों को कोई विश्वसनीयता नहीं मिलती है। यह क्षेत्र हमेशा भारतीय संप्रभुता के अधीन रहा है, है और रहेगा, यहां के लोग भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लाभान्वित होते हैं।
चीन की आपत्ति वास्तविकता से परे
वहीं दूसरी और इससे पहले 12 मार्च को प्रधान मंत्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर चीन एमएफए प्रवक्ता की टिप्पणियों के संबंध में मीडिया के सवालों के जवाब में, आधिकारिक प्रवक्ता, रणधीर जयसवाल ने कहा था कि हम प्रधानमंत्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के संबंध में चीनी पक्ष द्वारा की गई टिप्पणियों को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नेता समय-समय पर अरुणाचल प्रदेश का दौरा करते हैं, जैसे वे भारत के अन्य राज्यों का दौरा करते हैं। ऐसी यात्राओं या भारत की विकासात्मक परियोजनाओं पर आपत्ति करना उचित नहीं है। तर्क करने के लिए। इसके अलावा, यह इस वास्तविकता को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश राज्य भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। चीनी पक्ष को कई अवसरों पर इस सुसंगत स्थिति से अवगत कराया गया है।
गौरतलब हो कि 9 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया था। यह सुरंग रणनीतिक रूप से स्थित तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी देगी, सशस्त्र बलों की तैयारियों को मजबूती देगी और सीमा क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाएगी। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।