मध्य प्रदेश के धार स्थिति भोजशाला में आज सुबह करीब 6 बजे ज्ञानवापी की तरह वैज्ञानिक सर्वे (ASI सर्वे) शुरू हो गया। यह सर्वे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इंदौर बेंच के आदेश पर शुरू किया गया है। दरअसल हाईकोर्ट के निर्देश पर भोजशाला के सर्वे के लिए आज से खोदाई शुरू होगी। भोजशाला मामले में इंदौर में लगी याचिका पर सुनवाई के बाद फरवरी माह में सर्वे के आदेश दिए थे।
दिल्ली और भोपाल के अफसरों की सर्वे टीम सुबह छह बजे भोजशाला परिसर पहुंची। टीम ने भवन का निरीक्षण किया। इसके बाद मजदूरों को मेटल डिटेक्टर से जांच के बाद प्रवेश कराया गया। सभी के मोबाइल फोन बाहर रखवा लिए गए हैं। मजदूर खुदाई के लिए उपयुक्त सामग्री के साथ पहुंचे हैं। इस क्षेत्र की निगरानी 60 सीसीटीवी की मदद से की जा रही है। सर्वे टीम पहले चरण में दोपहर 12 बजे तक काम करेगी।
सर्वे के मद्देनजर शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अपर महानिदेशक प्रो. आलोक त्रिपाठी के अनुसार हाई कोर्ट के निर्देश पर वैज्ञानिक सर्वे को जीपीआर-जीपीएस तरीके से किया जाएगा।
प्राप्त जानकारियों के अनुसार एएसआई के आधिकारिक बयान में कहा गया कि 2022 की रिट याचिका संख्या 10497 में इंदौर में माननीय उच्च न्यायालय, मध्य प्रदेश के आदेश के अनुपालन में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण माननीय न्यायालय के निर्देशानुसार 22.3.2024 की सुबह से पुरातात्विक सर्वेक्षण/वैज्ञानिक जांच/खुदाई का संचालन करेगा। गौरतलब है कि कई वर्षों से भोजशाला को लेकर विवाद है क्योकि उस पर हिन्दू और मुस्लिम अपना हक जताते हैं। हिन्दू पक्ष का कहना है कि यहां सरस्वती मंदिर है, जबकि मुस्लिम पक्ष भोजशाला को इबादतगाह बताता है। अब विशेषज्ञों की टीम खुदाई कर यह देखेगी कि भोजशाला का जब निर्माण हुआ था, तब उसकी बनावट किस शैली की है और पत्थरों पर किस तरह के चिन्ह अंकित है। इसके बाद टीम अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेगी, जिसके आधार पर सुनवाई आगे बढ़ेगी।
ज्ञात हो कि हिंदू भोजशाला को ‘वाग्देवी’ को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमल मौला मस्जिद के नाम से जानते हैं। वहीं दूसरी ओर वकील विष्णु जैन द्वारा साझा किए गए अपने आदेश में अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं की ओर से अंतरिम आवेदन दायर करते हुए यह तर्क दिया गया है कि एएसआई सर्वेक्षण एक वैधानिक कर्तव्य है, जो एएसआई के पास होना चाहिए।’ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को धार जिले के विवादास्पद भोजशाला परिसर का छह सप्ताह के भीतर वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था।
बता दें कि राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक, जो शिक्षा एवं साहित्य के अनन्य उपासक थे, उन्होंने धार में एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा, जहां दूर और पास के अनेक छात्र अपनी बौद्धिक प्यास बुझाने के लिए आते थे । इस भोजशाला या सरस्वती मंदिर को बाद में यहाँ के मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था। इसके अवशेष अभी भी प्रसिद्ध कमाल मौलाना मस्जिद में देखे जा सकते हैं।