विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (MSC) 2025 में भारत के मजबूत लोकतांत्रिक प्रणाली की सराहना की। लोकतंत्र को मजबूत बनाने विषय पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र न केवल कायम है बल्कि यह लोगों के जीवन को भी बेहतर बना रहा है।
इस चर्चा में जयशंकर के साथ नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गाहर स्टोरे, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन और वारसॉ के मेयर राफाल ट्राजास्कोव्स्की शामिल रहे। जहां अन्य वक्ताओं ने लोकतंत्र की चुनौतियों पर चिंता जताई वहीं जयशंकर ने आत्मविश्वास से कहा कि भारत का लोकतंत्र न केवल जिंदा है, बल्कि और मजबूत हुआ है।
उन्होंने भारत के चुनावी तंत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में मतदान प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती है। अपनी स्याही लगी उंगली दिखाते हुए उन्होंने बताया, “मैंने हाल ही में अपने राज्य में मतदान किया है। पिछले साल हमारे देश में आम चुनाव हुए जिनमें 90 करोड़ योग्य मतदाताओं में से करीब 70 करोड़ ने मतदान किया। हम एक ही दिन में वोटों की गिनती पूरी कर लेते हैं और नतीजे बिना विवाद के स्वीकार किए जाते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत में पिछले कुछ दशकों में मतदान प्रतिशत 20% तक बढ़ गया है जो लोकतंत्र की मजबूती का संकेत है।
लोकतंत्र और विकास के संबंध में उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र सचमुच लोगों के जीवन में बदलाव ला रहा है। उन्होंने कहा, “भारत में लोकतंत्र सच में भूख मिटाता है।” उन्होंने बताया कि भारत सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध करवा रही है, जिससे उनकी सेहत और जीवन स्तर बेहतर हो रहा है।
हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लोकतंत्र हर जगह असफल हो रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले 25-30 सालों में अपनाए गए वैश्वीकरण मॉडल की वजह से कई समस्याएं पैदा हुई हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि लोकतंत्र समाप्त हो रहा है।” जयशंकर ने इस सम्मेलन के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा “MSC 2025 में ‘लोकतंत्र को मजबूत बनाने’ विषय पर चर्चा की। भारत को एक सफल लोकतंत्र के रूप में प्रस्तुत किया। वैश्विक निराशावाद से अलग अपनी बात रखी। विदेशी हस्तक्षेप के मुद्दे पर भी अपनी राय दी।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत का लोकतंत्र विकासशील देशों के लिए पश्चिमी देशों से अधिक प्रासंगिक है। उनके मुताबिक “आजादी के बाद हमने लोकतंत्र को इसलिए अपनाया क्योंकि हमारी संस्कृति शुरू से ही परामर्श और बहुलतावाद (सभी को शामिल करने वाली विचारधारा) पर आधारित रही है।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि पश्चिमी देश चाहते हैं कि दुनिया भर में लोकतंत्र मजबूत हो तो उन्हें अपने दायरे से बाहर भी सफल लोकतांत्रिक मॉडल को स्वीकार करना होगा। गौरतलब है कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (MSC) का 61वां संस्करण 14 से 16 फरवरी तक हो रहा है, जिसमें दुनियाभर के नेता अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और नीति से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।