प्रतिक्रिया | Sunday, December 22, 2024

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देश में नौकरी और सबसे अधिक वेतन देने वाला शहर बना बेंगलुरु, अध्ययन में दावा 

देश में बेंगलुरु अब भी नौकरी देने और वेतन वृद्धि के मामले में सबसे आगे है। जी हां, यहां पिछले साल के मुकाबले वेतन में औसतन 9.3 फीसद की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि एक टेक्नोलॉजी और बिजनेस हब के रूप में शहर की लंबे समय से चली आ रही प्रतिष्ठा को रेखांकित करती है। बेंगलुरु में औसत मासिक यूनिफाइड वेतन 29,500 रुपये है, जो इसे देश में सबसे अधिक वेतन देने वाला शहर बनाता है। यूनिफाइड वेतन एक ही भूमिका में अस्थायी और स्थायी नौकरियों में एग्रीगेटेड वेतन को कहते हैं। 

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में कई शहरों का किया गया अध्ययन 

देश के प्रमुख स्टाफिंग समूह टीमलीज सर्विसेज ने रोजगार, रोजगार योग्यता और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में कई शहरों का अध्ययन कर 23-24 के लिए यह रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में चयनित शहरों और उद्योगों के रुझान में मूल्यवान इनसाइट्स उपलब्ध करने के लिए स्थायी और अस्थायी जॉब मार्केट में एकीकृत वेतन का विश्लेषण किया। 

बेंगलुरु के बाद चेन्नई और दिल्ली 

इसमें कहा गया है कि बेंगलुरु के बाद चेन्नई और दिल्ली आते हैं, जहां क्रमशः 7.5 फीसद और 7.3 फीसद वेतन वृद्धि दर्ज की गई है। चेन्नई में औसत मासिक वेतन 24,500 रुपये और दिल्ली में 27,800 रुपये हो गया है। मुंबई और अहमदाबाद में भी वेतन में अच्छी बढ़ोतरी हुई है और इसने प्रमुख जॉब हब्स के तौर पर उनके महत्व की पुष्टि की है। मुंबई में औसत वेतन 25,100 रुपये है, जबकि पुणे में 24,700 रुपये है। यह दोनों महानगरों में प्रतिस्पर्धी वेतन स्तर बनाए रखता है। इन शहरों में वेतन वृद्धि 4 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक हुई है, जिसमें औसत मासिक वेतन 21,300 रुपये और 29,500 रुपये के बीच है।

रिपोर्ट में क्या कहा गया है ? 

उद्योग संबंधी अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटेल में 8.4 प्रतिशत की दर से उल्लेखनीय वेतन वृद्धि दर्ज हुई है और यह टॉप परफॉर्मर के तौर पर उभरा है। इस रुझान के बाद कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (5.2 फीसद ) और बीएफएसआई (5.1प्रतिशत) आते हैं और यह दोनों ही क्षेत्र पेशेवरों के लिए मजबूत विकास के अवसर प्रदान कर रहे हैं। दूसरी ओर, लॉजिस्टिक्स, एफएमसीजी, हेल्थकेयर और फार्मा, और कंस्ट्रक्शन व रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों ने मध्यम वेतन वृद्धि दिखाई है। साथ ही कुशल पेशेवरों के लिए स्थिर वृद्धि दर्ज की है। सर्वाधिक वेतन देने वाले उद्योगों में टेलीकॉम (29,200 रुपये), मैन्युफैक्चरिंग, इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर (28,200 रुपये), हेल्थकेयर और फार्मा (27,600 रुपये) तथा कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट (27,000 रुपये) शामिल हैं।

इस अध्ययन में पिछले पांच वर्षों में वेतन वृद्धि के साथ विशिष्ट जॉब प्रोफाइल्स पर भी गौर किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, एफएमसीजी उद्योग ने सबसे अधिक वृद्धि प्रदर्शित की है, जिसमें ट्रेनी एसोसिएट और पायलट ऑफिसर की भूमिकाएं क्रमशः 9.5 फीसद और 8 फीसद का प्रभावशाली सीएजीआर दिखा रही हैं। बीएफएसआई उद्योग भी इसी राह पर है, जिसमें एचआर एक्जीक्यूटिव (7.9 प्रतिशत सीएजीआर) और सेल्स मैनेजर (6.6 फीसद सीएजीआर) महत्वपूर्ण लंबी अवधि की वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं। शहरों की बात करें तो हैदराबाद में ऑपरेशंस एक्जीक्यूटिव (8.1 प्रतिशत सीएजीआर), अहमदाबाद में बैक ऑफिस एक्जीक्यूटिव (7.8 प्रतिशत सीएजीआर), पुणे में सेल्स मैनेजर (6.8 प्रतिशत सीएजीआर) और दिल्ली में डेटा कोऑर्डिनेटर (6.6 फीसद सीएजीआर) जैसी भूमिकाएं भी मजबूत वृद्धि दर्शा रही हैं, जो उद्योगों और शहरों में कुशल पेशेवरों की व्यापक मांग को दर्शाती हैं।

स्थायी और अस्थायी भूमिकाओं के लिए वेतन में भी दिख रही समानता  

रिपोर्ट के अनुसार स्थायी और अस्थायी भूमिकाओं के लिए वेतन में समानता भी दिख रही है। विशेष रूप से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट, के साथ ही एग्रीकल्चर और एग्रोकेमिकल्स जैसे क्षेत्रों में इन क्षेत्रों में वेतन भिन्नता कम है। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में केवल 6.3 फीसद, कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट में 7.8 फीसद, एग्रीकल्चर और एग्रोकेमिकल्स में 7.9 फीसद और खुदरा में 8.1 फीसद का अंतर सामने आया है।

जॉब मार्केट में हो रहे गहरे बदलाव का बड़ा संकेत 

टीमलीज में सीईओ-स्टाफिंग कार्तिक नारायण का कहना है कि ”यह रिपोर्ट भारत के नौकरी बाजार में सकारात्मक भविष्य की तस्वीर पेश करती है, जिसमें तकरीबन सभी शहरों और उद्योगों में महत्वपूर्ण वेतन वृद्धि दर्ज होती नजर आ रही है। बेंगलुरु की 9.3फीसद वेतन वृद्धि और रिटेल की प्रभावशाली 8.4 फीसद वृद्धि विशेष कौशल की बढ़ती मांग का संकेत है, जो वेतन के रुझान को बढ़ा रही है। यह केवल वेतन वृद्धि की बात नहीं है। यह जॉब मार्केट में हो रहे गहरे बदलाव का बड़ा संकेत है। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कंस्ट्रक्शन व रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में स्थायी और अस्थायी भूमिकाओं के बीच वेतन अंतर कम होना दर्शाता है कि कंपनियां टेलेंट इक्विटी और लंबे समय तक योग्य कर्मचारियों को रोके रखने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। यह रुझान देश में नौकरियों के भविष्य को आकार देने में अनुकूलनशीलता और विशेषज्ञता के बढ़ते महत्व को उजागर करते हैं।” (इनपुट-हिंदुस्थान समाचार)

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आखरी अपडेट: 22nd Dec 2024