देश के हर कोने तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। भारतनेट परियोजना के तहत 19 मार्च 2025 तक देश की 2.18 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों (GPs) को ब्रॉडबैंड सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है। यह जानकारी आज सोमवार को संचार मंत्रालय ने दी। मंत्रालय ने बताया कि 25 मार्च 2025 तक देशभर में ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) की कुल लंबाई 42.13 लाख रूट किलोमीटर तक पहुंच गई है, जबकि 1 जनवरी 2025 तक 6,92,676 किलोमीटर फाइबर केबल बिछाई जा चुकी है।
इसके अलावा, 12,21,014 फाइबर-टू-द-होम (FTTH) कनेक्शन सक्रिय किए गए हैं और 1,04,574 वाई-फाई हॉटस्पॉट्स लगाए गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की उपलब्धता और तेज हो गई है। गौरतलब है कि भारतनेट परियोजना की शुरुआत देश की लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने के उद्देश्य से की गई थी। इसका पहला चरण, जिसमें 1 लाख पंचायतों को मौजूदा बुनियादी ढांचे से जोड़ना था, दिसंबर 2017 में पूरा कर लिया गया था। अब दूसरे और तीसरे चरण के तहत शेष 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को फाइबर, रेडियो और सैटेलाइट तकनीकों के माध्यम से जोड़ा जा रहा है।
वहीं तीसरे चरण का उद्देश्य नेटवर्क को भविष्य के लिए तैयार करना है, जिसमें 5G तकनीकों का एकीकरण, अधिक बैंडविड्थ क्षमता और मजबूत अंतिम-मील कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना शामिल है। गौरतलब है कि अगस्त 2023 में भारतनेट परियोजना को “संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (ABP)” के रूप में फिर से मंजूरी दी गई थी। इसका लक्ष्य 2.64 लाख ग्राम पंचायतों को “रिंग टोपोलॉजी” नेटवर्क डिजाइन में जोड़ना है, जिससे डेटा ट्रैफिक बिना रुकावट के घूमता रह सके। इसके तहत IP-MPLS नेटवर्क के साथ ब्लॉक्स और ग्राम पंचायतों में राउटर, 10 साल की संचालन व रख-रखाव व्यवस्था, पावर बैकअप और रिमोट फाइबर मॉनिटरिंग सिस्टम (RFMS) जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं। इसके लिए कुल 1,39,579 करोड़ रुपये की लागत निर्धारित की गई है।
वहीं डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे “प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA)” के तहत 31 मार्च 2024 तक 6.39 करोड़ ग्रामीण नागरिकों को डिजिटल प्रशिक्षण दिया जा चुका है। डिजिटल कनेक्टिविटी को और मजबूत करने के लिए 17 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन 2.0 की शुरुआत की गई, जिसमें ‘गति शक्ति संचार’ जैसे केंद्रीकृत ‘राइट ऑफ वे’ (RoW) पोर्टल की व्यवस्था की गई है। भारतनेट परियोजना को मुख्य रूप से “डिजिटल भारत निधि (DBN)” के माध्यम से वित्त पोषित किया जा रहा है, जो कि अब “यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF)” की जगह ले चुका है। भारतनेट (चरण I और II) के लिए कैबिनेट द्वारा कुल 42,068 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी, जिसमें से 31 दिसंबर 2023 तक 39,825 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। यह परियोजना भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है, जो ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और सरकारी सेवाओं को डिजिटल माध्यम से पहुंचाने में मदद करेगी।-(WIth Input IANS)