प्रतिक्रिया | Saturday, September 07, 2024

21/07/24 | 11:14 am

केंद्रीय बजट से बिहार को बड़ी उम्मीद, एविएशन सेक्टर पर जोर

केंद्रीय बजट का जितना इंतजार बिहार को है , शायद ही किसी राज्य को होगा, क्योंकि बिहार सरकार मानती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में विकास को लेकर बिहार के लोग काफी उत्साहित हैं। लाजिमी है कि स्पेशल पैकेज की मांग जोरों पर है। इसलिए नीतीश सरकार के इर्दगिर्द रहनेवाली बिहार की नौकरशाही ने विकास और निवेश को अपनी मुहिम बना लिया है। उनके अंदर एक ही सवाल है कि आखिर उद्यमी यहां क्यों नहीं आ सकते? दरअसल, दिल्ली से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे अफसरों को इसका श्रेय जाता है। हालांकि बिहार में मौजूदा एनडीए सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने पार्टी संगठन में युवा नेतृत्व और दिल्ली दरबार के साथ अपने पॉलिटिकल लाईजनिंग को भी मजबूत किया है। दिल्ली में जेडीयू के कई सांसद दिल्ली के पावर कॉरिडोर में मजबूत हुए, मसलन सांसद लल्लन सिंह और संजय झा की जिम्मेदारी बढ़ गई।

बिहार केंद्र को विश्वास दिलाने में कामयाब रहा है कि उर्जा और उद्योग में कई नीतिगत परिवर्तन भी किये गये हैं। फलतः उर्जा के क्षेत्र में बिहार आत्मनिर्भर होने लगा है। दरअसल, पिछले दिनों बिहार में उद्योग फल फूल नहीं रहा था तो इसके पीछे कई कारण थे। अव्वल तो कानून व्यवस्था की समस्या हतोत्साहित कर रही थी। जबकि अब बेहतर बिजली और सड़क हर किसी को लुभा रही है। बिहार में एविएशन सेक्टर को लेकर पूर्व केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा था कि अमृत ​​काल में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में बिहार भी ऊंची उड़ान भरेगा। क्योंकि आज भारत, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू नागरिक उड्डयन बाजार है। देश में घरेलू यात्रियों की संख्या, 2014 में केवल 60 मिलियन थी लेकिन अब दोगुनी से अधिक होकर लगभग 145 मिलियन हो गई है। इसमें बिहार की महत्वपूर्ण भागीदारी है।

2017 के बाद हवाई उड़ान एक विलासिता नहीं रह गई है। अब तो मध्यम वर्ग के लोग भी इसे आवश्यक सेवा मानते हैं क्योंकि यह सस्ती और आसान यात्रा बन गई है। इसमें कोई संदेह नहीं कि,”उड़ान योजना” ने लाखों लोगों को पहली बार उड़ान भरने वालों में जोड़कर भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र को एक लोकतांत्रिक रूप दिया है। जबकि बिहार जैसे कुछ राज्य एविएशन मूवमेंट में राजनीतिक मतभेद के चलते पिछड़ते रहे हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण पूर्णियाँ, भागलपुर और राजगीर एयरपोर्ट निर्माण में देरी होना है। लेकिन बिहार सरकार ने भी एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर कमर कस ली है। अब बिहार सरकार के प्रस्तावित योजना में भागलपुर और राजगीर में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, बेगूसराय में फ्लाईंग ट्रेनिंग अकादमी के अलावा, बिहार के छोटे शहरों को भी शामिल किया जा रहा है। जिसमें मौजूदा आठ हवाई पट्टी यानी एयरस्ट्रिप का जीर्णोद्धार और अपग्रेडेशन किया जायेगा। इसमें सहरसा, मुंगेर , बीरपुर, बाल्मीकि नगर, छपरा, मधुबनी, किशनगंज और डालमियानगर को एयर इंफ्रा से लैस करने की योजना है। इसी के साथ 23 जिलों में प्रोफेशनल हेलीपोर्ट की सुविधा मिलने जा रही है। इसमें कोसी के पिछड़े ईलाके खगड़िया और मधेपुरा को भी शामिल किया गया है। उपर्युक्त प्रस्तावित प्लानिंग में बिहार के एविएशन सेक्टर में विकास की यह क्रांति, छोटे-छोटे शहरों में लाखों लोगों को रोजगार और व्यवसाय के अवसर भी प्रदान करेगी। अब वह दिन दूर नहीं जब रेल और सड़क परिवहन के साथ-साथ हवाई सेवा और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बिहार परिवहन का गढ़ बन जाएगा। बशर्ते केंद्रीय बजट में बिहार को तवज्जो दिया जाए। जिसका हर बिहारवासी को 2014 से इंतजार है।

राजेश कुमार सिंह, सीनियर जर्नलिस्ट
(यह लेखक के निजी विचार हैं, इन विचारों का संस्थान से कोई संबंध नहीं है।)

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आखरी अपडेट: 7th Sep 2024