भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने आयुष क्षेत्र में मानकीकरण के लिए विभागों का गठन किया है। ये नया विभाग आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को शामिल करते हुए आयुष उत्पादों और कार्य प्रणालियों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता को प्रोत्साहन देने पर केंदित है।
सात अनुभागीय समितियों का किया गठन
केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में बताया कि बीआईएस ने आयुष क्षेत्र में मानकीकरण के लिए विभागों का गठन किया है। बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि प्रसिद्ध विशेषज्ञों के नेतृत्व में आयुष विभाग ने सात अनुभागीय समितियों का गठन किया है, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट आयुष प्रणाली की देख-रेख करती है।
ये समितियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ मिलकर करती हैं कार्य
ये समितियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप व्यापक, साक्ष्य-आधारित मानकों को सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों, वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों, उद्योग प्रतिनिधियों एवं नियामक निकायों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करती हैं।
दरअसल बीआईएस ने एकल जड़ी-बूटियों, आयुर्वेद और योग शब्दावली, पंचकर्म उपकरणों, योग सहायक उपकरणों और जड़ी-बूटियों में कीटनाशक अवशेषों के परीक्षण विधियों जैसे विविध विषयों को शामिल करते हुए 91 मानक प्रकाशित किए हैं।
इससे उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों को होगा लाभ
उल्लेखनीय है कि पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली औषधियों के लिए 80 स्वदेशी भारतीय मानकों का प्रकाशन उनके सुरक्षित और प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है। इससे उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों को लाभ होता है। इसके अलावा पंचकर्म उपकरणों के लिए पहले राष्ट्रीय मानक रोग-निरोधी और चिकित्सीय प्रक्रियाओं में एकरुपता सुनिश्चित करते हैं, जिससे आयुष स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। (इनपुट-हिंदुस्थान समाचार)