अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) और दलाई लामा की सार्वभौमिक जिम्मेदारी के लिए फाउंडेशन ने हाल ही में नई दिल्ली में बोधिपथ फिल्म महोत्सव की मेजबानी की, जो सिनेमा और आध्यात्मिकता का एक अनूठा संगम है। इस महोत्सव में बुद्ध धम्म के सार को समेटे हुए फिल्में दिखाई गईं, जो दर्शकों को बोद्ध शिक्षाओं और समकालीन जीवन में उनकी प्रासंगिकता के बारे में गहन अंतदृष्टि से प्रेरित करती हैं।
वहीं, उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में तिब्बत हाउस के निदेशक गेशे दोरजी दामदुल ने भगवान बुद्ध की ओर से मान्यता प्राप्त 2500 वर्ष पूर्व की कला और चित्रों को की तुलना सिनेमा के माध्यम से की। उन्होंने कहा कि दृश्य कला हमेशा से ही आम जनता के लिए शिक्षा और सूचना का माध्यम रही है, हालांकि, सिनेमा जनता की सोच के स्तर को भी दर्शाता है। तो समाज में मौजूदा सोच के अनुसार ही फिल्मों का निर्माण हो।
वेन गेशे दामदुल ने यह भी उल्लेख किया कि भगवान बुद्ध के समय में शाक्यमुनि की शिक्षाओं को दर्शाने वाली और लोगों को शिक्षित करने वाली पेंटिंग्स बनायी गयी थीं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की पांचों इंद्रियां संदेश को आत्मसात करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि दृश्य ‘निम्न स्तर’ के हैं, तो समाज उन्हें आत्मसात कर लेगा, और इसीलिए हम इन दिनों साइबर अपराध सहित बहुत सारे अपराधों को देखते हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह, संघर्ष, युद्ध, जलवायु संबंधी आपदा और अविश्वास को देखा जाने लगेगा।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की ओर से 10-11 मार्च 2025 को आयोजित ‘बोधिपथ फिल्म महोत्सव’ के पहले संस्करण में चार पैनल चर्चाएं भी हुईं, जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों ने भाग लिया। उनमें शिक्षाविदों से लेकर फिल्म निर्माता और निर्देशकों से लेकर सोशल मीडिया के प्रभावशाली व्यक्तित्व और अभिनेता तक शामिल हुए। ये चर्चाएं फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित थीं, जिसमें बौद्ध फिल्मों के निर्माण में आने वाली चुनौतियों और विचारशील संचार के संबंध में भी बात हुई।
वहीं, हॉलीवुड की फिल्मों के विश्व प्रसिद्ध कलाकार और बौद्ध धर्म के अनुयायी रिचर्ड गेरे ने इस महोत्सव के लिए एक संदेश रिकॉर्ड किया। उन्होंने कहा कि बौद्ध फिल्म महोत्सव बुद्ध की शिक्षाओं के प्रसार का सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने यह भी कहा कि यह महोत्सव “एक रोमांचक क्षण है। यह बौद्ध धर्म के मार्ग पर चलने का एक शानदार अवसर है।”
इस महोत्सव को युवाओं और बुजुर्गों ने काफी पसंद किया औऱ सराहा। विभिन्न बौद्ध संस्थानों से बड़ी संख्या में आए भिक्षुओं और भिक्षुणियों के साथ-साथ भारतीय जनसंचार संस्थान और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी इस फिल्मोत्सव में भाग लिया।