प्रतिक्रिया | Wednesday, February 05, 2025

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बजट 2025-26: एमएसएमई को 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण मिलेगा, नई पहल से 5 लाख उद्यमियों को होगा लाभ

केंद्रीय बजट 2025-26 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर को मजबूत करने के लिए उपायों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की गई है। व्यापार का विस्तार करने और दक्षता में सुधार करने में मदद करने के लिए, एमएसएमई वर्गीकरण के लिए निवेश और टर्नओवर सीमा बढ़ा दी गई है। सूक्ष्म और लघु उद्यमों, स्टार्टअप और निर्यात-केंद्रित एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी कवर में बढ़ोतरी के साथ क्रेडिट पहुंच बेहतर होना तय है। एक नई योजना वंचित पृष्ठभूमि से पहली बार के उद्यमियों को वित्तीय मदद प्रदान करेगी, जबकि क्षेत्र-विशेष के लिए पहल से जूते, चमड़े और खिलौनों के निर्माण जैसे क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ेगी।

2023-24 में, एमएसएमई उत्पादों का भारत के कुल निर्यात में 45.73 प्रतिशत हिस्सा

एमएसएमई क्षेत्र विनिर्माण, निर्यात और रोजगार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 25 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले 5.93 करोड़ पंजीकृत एमएसएमई के साथ, ये उद्यम देश के आर्थिक उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा निर्माण करते हैं। उल्लेखनीय है, 2023-24 में, एमएसएमई से संबंधित उत्पादों का भारत के कुल निर्यात में 45.73% हिस्सा था।

क्रेडिट पहुंच को बेहतर किया गया

केंद्रीय बजट 2025-26 में क्रेडिट पहुंच को बेहतर कर, पहली बार उद्यमियों को सहयोग देकर और श्रम-गहन उद्योगों को प्रोत्साहन देकर एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से उपायों की एक श्रृंखला पेश की गई है।

निवेश और टर्नओवर सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और 2 गुना बढ़ा दिया गया

एमएसएमई को बड़े पैमाने पर संचालन करने और बेहतर संसाधनों तक पहुंच में मदद करने के लिए, वर्गीकरण के लिए निवेश और टर्नओवर सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और 2 गुना बढ़ा दिया गया है। इससे दक्षता में सुधार, तकनीकी अपनाने और रोजगार सृजन की उम्मीद है।

बेहतर क्रेडिट उपलब्धता

सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी कवर को ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ कर दिया गया है, जिससे पांच वर्षों में ₹1.5 लाख करोड़ का अतिरिक्त क्रेडिट संभव हो सकेगा। वहीं, 27 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में लोन के लिए 1% की कम शुल्क के साथ स्टार्टअप का गारंटी कवर ₹10 करोड़ से दोगुना कर ₹20 करोड़ हो जाएगा। निर्यातक एमएसएमई को बढ़े हुए गारंटी कवर के साथ ₹20 करोड़ तक के सावधि ऋण से लाभ होगा।

सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड

एक नई अनुकूलित क्रेडिट कार्ड योजना उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमों को ₹5 लाख का क्रेडिट प्रदान करेगी, जिसमें पहले वर्ष में 10 लाख कार्ड जारी किए जाएंगे।

स्टार्टअप और पहली बार उद्यमियों के लिए सहयोग

इसके अलावा स्टार्टअप्स के लिए सहयोग बढ़ाने के लिए ₹10,000 करोड़ का एक नया फंड ऑफ फंड्स स्थापित किया जाएगा। पहली बार काम करने वाली 5 लाख महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए स्टैंड-अप इंडिया योजना की सीख को शामिल करते हुए पांच वर्षों में ₹2 करोड़ तक का सावधि ऋण प्रदान करेगी।

इन क्षेत्रों पर है फोकस

आपको बता दें, फुटवियर और चमड़ा क्षेत्र के लिए एक फोकस उत्पाद योजना डिजाइन, घटक विनिर्माण और गैर-चमड़ा फुटवियर उत्पादन में सहयोग करेगी, जिससे 22 लाख नौकरियां पैदा होने और 4 लाख करोड़ रुपये का टर्नओवर होने की उम्मीद है। खिलौना क्षेत्र के लिए एक नई योजना क्लस्टर विकास और कौशल-निर्माण को प्रोत्साहन देगी, जिससे भारत एक वैश्विक खिलौना विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित होगा।

देश के पूर्वी क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए बिहार में एक राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान की स्थापना की जाएगी।

विनिर्माण और स्वच्छ तकनीक पहल

एक राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों के लिए नीति सहयोग और रोडमैप प्रदान करेगा। स्वच्छ तकनीकी विनिर्माण, सौर पीवी सेल, ईवी बैटरी, पवन टर्बाइन और उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन उपकरण के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने पर विशेष जोर दिया जाएगा।

एमएसएमई सेक्टर रोजगार, विनिर्माण और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है

गौरतलब हो, एमएसएमई क्षेत्र भारत की आर्थिक प्रगति की आधारशिला बना हुआ है, जो रोजगार, विनिर्माण और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। हाल के वर्षों में, इस क्षेत्र ने उल्लेखनीय तन्यक प्रदर्शित किया है, देश के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में इसकी हिस्सेदारी 2020-21 में 27.3% से बढ़कर 2021-22 में 29.6% और 2022-23 में 30.1% हो गई है, जो राष्ट्रीय आर्थिक उत्पादन में इसकी बढ़ती भूमिका को उजागर करती है।

वहीं दूसरी ओर एमएसएमई से निर्यात में पर्याप्त बढ़ोतरी देखी गई है, जो 2020-21 में ₹3.95 लाख करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹12.39 लाख करोड़ हो गई। निर्यात करने वाले एमएसएमई की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है, जो 2020-21 में 52,849 से बढ़कर 2024-25 में 1,73,350 हो गई है।

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आखरी अपडेट: 5th Feb 2025