पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य मध्यम वर्गीय छात्रों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने में वित्तीय बाधाओं को दूर करना है। इस पहल के तहत उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिला लेने वाले छात्रों को बिना गारंटर (कोलैटरल) के ऋण प्राप्त हो सकेगा। कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय सूचना मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह घोषणा की।
8 लाख सालाना आय वाले छात्रों को ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट, पीएम-विद्यालक्ष्मी पोर्टल से कर सकेंगे आवेदन
पीएम विद्यालक्ष्मी योजना के तहत हर साल लगभग 1 लाख छात्र अपनी पढ़ाई के लिए शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकेंगे। जिन छात्रों के परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपये तक है, उन्हें 10 लाख रुपये तक के ऋण पर तीन प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी मिलेगी। इसके अलावा, जिन छात्रों के परिवार की सालाना आय 4.5 लाख रुपये तक है, उन्हें पहले की तरह ब्याज रहित अनुदान मिलता रहेगा। सरकार ने यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई है कि कोई भी योग्य छात्र पैसे की समस्याओं के कारण शिक्षा से वंचित न रहे। प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए, ऋण आवेदन, स्वीकृति, और वितरण पीएम-विद्यालक्ष्मी पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा।
प्रत्येक वर्ष, उच्च शिक्षा विभाग इस योजना के तहत पात्र उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों की सूची तैयार करेगा। इस सूची में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की विभिन्न श्रेणियों में शीर्ष 100 संस्थान और राज्य या केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के शीर्ष 200 संस्थान शामिल होंगे। इसके अलावा, इसमें हायर एजुकेशन के लिए 7.5 लाख रुपए तक के लोन पर भारत सरकार 75% क्रेडिट गारंटी देगी। जिससे ऋणदाताओं के लिए सुरक्षा बढ़ेगी और छात्रों को उनकी शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करना आसान होगा।