केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों सहित ‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी प्रदान की है। केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इन फैसलों की जानकारी दी।
केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि अब सरकार इस विषय पर व्यापक समर्थन जुटाने का प्रयास करेगी और समय आने पर इस पर संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगा।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों और बड़ी संख्या में पार्टियों के नेताओं ने वास्तव में एक देश एक चुनाव पहल का समर्थन किया है। उच्च-स्तरीय बैठकों में बातचीत के दौरान वे अपना इनपुट बहुत संक्षिप्त तरीके और बहुत स्पष्टता के साथ देते हैं। हमारी सरकार उन मुद्दों पर आम सहमति बनाने में विश्वास करती है, जो लंबे समय में लोकतंत्र और राष्ट्र को प्रभावित करते हैं। यह एक ऐसा विषय है, जिससे हमारा देश मजबूत होगा।
वैष्णव ने कहा कि देश में 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव होते रहे हैं। इसके बाद 1999 में विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि पांच साल में लोकसभा और सभी विधानसभाओं का एक चुनाव होना चाहिए ताकि देश में विकास होता रहे। उन्होंने बताया कि 2015 में संसदीय समिति ने अपनी 79वीं रिपोर्ट में सरकार से दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने के तरीके सुझाने को कहा था। इसके बाद, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया और उस समिति ने राजनीतिक दलों, न्यायाधीशों, संवैधानिक विशेषज्ञों सहित हितधारकों के व्यापक स्पेक्ट्रम से व्यापक परामर्श किया।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में देशभर में एक साथ चुनाव कराने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। समिति ने इस संबंध में विभिन्न पार्टियों और हितधारकों से इस पर विचार किया और पिछली सरकार के दौरान ही अपनी सिफारिशें दीं। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि एक अवधि के बाद सभी राज्यों की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल छोटा कर एक साथ चुनाव करायें जायें। केन्द्र और विधानसभा में चुनाव के थोड़े समय बाद ही नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव कराए जायें।
(इनपुट- हिन्दुस्थान समाचार)