केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने हीरा क्षेत्र में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के संबंध में हीरे के लिए उपयुक्त शब्दावली के उपयोग पर विचार-विमर्श के लिए हितधारकों से परामर्श किया। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की मुख्य आयुक्त निधि खरे की अध्यक्षता में आयोजित परामर्श में उद्योग के प्रमुख हितधारकों और विशेषज्ञों ने मिलकर भाग लिया। बैठक में हीरा क्षेत्र में शब्दावली के मानकीकरण की कमी और अपर्याप्त जानकारी दिये जाने के बारे में गंभीर चिंताओं पर चर्चा की गई। इन खामियों के कारण खासकर प्राकृतिक हीरे और प्रयोगशाला में तैयार किये गये हीरे के बीच अंतर को लेकर उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा होता है और इसके लिए भ्रामक तौर-तरीके अपनाए जाते हैं।
विभिन्न पहलुओं व मौजूदा कानूनी और विनियामक ढांचों पर विस्तार से की गई चर्चा
परामर्श के दौरान व्यापक रूप से इसके मुख्य पहलुओं और मौजूदा कानूनी और विनियामक ढांचों पर विस्तार से चर्चा की गई। उदाहरण के लिए, कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 की धारा 12 के तहत हीरे, मोती और कीमती पत्थरों के द्रव्यमान की इकाई कैरेट (प्रतीक: c) प्रदान की गई है, जो 200 मिलीग्राम या एक किलोग्राम के पांच-हज़ारवें हिस्से के बराबर है। यह हीरा उद्योग में वाणिज्यिक लेन-देन में स्थिरता के लिए मानक पैमाना है।
सिंथेटिक हीरे को पात्रता के बिना “हीरा” के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के मानक आईएस 15766:2007 के अनुसार, “हीरा” शब्द का तात्पर्य केवल प्राकृतिक हीरों से ही होना चाहिए। सिंथेटिक हीरे को पात्रता के बिना “हीरा” के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती है। उत्पादन विधि या उपयोग की जाने वाली सामग्री कुछ भी हो, परन्तु इसका उल्लेख स्पष्ट रूप से “सिंथेटिक हीरे” के रूप में ही किया जाना चाहिए। बाजार में इसके संबंध में स्पष्टता बनाए रखने के लिए, सिंथेटिक हीरे को प्राकृतिक हीरे के साथ वर्गीकृत करने पर भी रोक है।उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत, हीरा उद्योग में अनुचित व्यापार पर प्रतिबंध और पारदर्शी लेबलिंग सुनिश्चित करके उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान किया गया है जिसके अंतर्गत उपभोक्ताओं को भ्रमित करने वाली जानकारी या भ्रामक विवरण देने पर रोक है।
इसके अलावा, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने इन कदमों को और सुदृढ़ करते हुए 30 अक्टूबर, 2024 के परिपत्र संख्या 21/2024 में यह स्पष्ट घोषणा करना अनिवार्य कर दिया है कि हीरा प्राकृतिक है या प्रयोगशाला में तैयार कर दिया गया है, और यदि प्रयोगशाला में बनाया गया है, तो इसकी उत्पादन विधि – रासायनिक वाष्प जमाव (सीवीडी), उच्च दबाव उच्च तापमान (एचपीएचटी), या अन्य – जो भी है उसे निर्दिष्ट किया जाना चाहिए ताकि हीरा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके ।
सुसंगत शब्दावली के उपयोग की आवश्यकता पर दिया जोर
उद्योग जगत की आम सहमति से उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ाने के लिए व्यापार के नैतिक तौर-तरीकों और सुसंगत शब्दावली के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इसके संबंध में निम्नलिखित को अनिवार्य बनाने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश प्रस्तावित किए गए। सभी हीरों की स्पष्ट लेबलिंग और प्रमाणीकरण हो, जिसमें उनकी उत्पत्ति और उत्पादन विधि का उल्लेख हो। प्रयोगशाला में विकसित उत्पादों के लिए “प्राकृतिक” या “वास्तविक” जैसे भ्रामक शब्दों का प्रयोग पर रोक रहेगी। हीरा परीक्षण प्रयोगशालाओं को विनियमित और मानकीकृत करने के लिए मान्यता प्रणालियां लागू होंगी, जिससे अनियमित संस्थाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
यह परामर्श पारदर्शी और उपभोक्ता-केंद्रित हीरा बाजार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) जल्द ही हीरा उद्योग में पारदर्शिता, जवाबदेही और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत दिशानिर्देशों की रूपरेखा जारी करेगा।