केंद्र सरकार ने स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस) के मध्यम और दीर्घकालिक अवधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) कंपोनेंट को 26 मार्च से बंद करने की घोषणा की। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बैंक अपनी 1-3 वर्ष की अल्पकालिक स्वर्ण जमा योजनाओं को जारी रख सकते हैं। जीएमएस के तहत नवंबर 2024 तक करीब 31,164 किलोग्राम सोना जुटाया गया है।
बैंक की शाखाओं में स्वर्ण जमा 26 मार्च, 2025 से स्वीकार नहीं की जाएगी
मंत्रालय ने कहा, “स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस) के प्रदर्शन की जांच और बाजार की बदलती परिस्थितियों के आधार पर, 26 मार्च, 2025 से जीएमएस के मध्यम अवधि और दीर्घकालिक सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) घटकों को बंद करने का निर्णय लिया गया है।”
इस फैसले के तहत, जीएमएस के बताए गए घटकों के तहत निर्दिष्ट कलेक्शन एंड प्योरिटी टेस्टिंग सेंटर (सीपीटीसी), जीएमएस मोबिलाइजेशन कलेक्शन एंड टेस्टिंग सेंटर (जीएमसीटीए) या बैंक शाखाओं में पेश स्वर्ण जमा 26 मार्च, 2025 से स्वीकार नहीं की जाएगी।
एमएलटीजीडी के तहत मौजूदा जमा जीएमएस के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार रिडीम होने तक जारी रहेंगी
“हालांकि, एमएलटीजीडी के तहत मौजूदा जमा जीएमएस के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार रिडीम होने तक जारी रहेंगी।” स्वर्ण मुद्रीकरण योजना की घोषणा 15 सितंबर, 2015 को की गई थी, जिसका उद्देश्य दीर्घावधि में सोने के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना और देश में परिवारों और संस्थानों द्वारा रखे गए सोने को उत्पादक उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाने की सुविधा प्रदान करना था।
इसके अलावा, जीएमएस के तहत बैंकों द्वारा पेश की जाने वाली अल्पकालिक बैंक जमा (एसटीबीडी) उनके द्वारा मूल्यांकन की गई वाणिज्यिक व्यवहार्यता के आधार पर व्यक्तिगत बैंकों के विवेक पर जारी रहेगी। सरकार ने कहा, “इस संबंध में रिजर्व बैंक के विस्तृत दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा।”
सोने को सुरक्षित-संपत्ति माना जाता है, जो भू-राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के समय में लोकप्रिय हो रहा है
जीएमएस में तीन घटक 1-3 वर्ष के लिए अल्पावधि बैंक जमा; 5-7 वर्ष के लिए मध्यम अवधि सरकारी जमा और 12-15 वर्ष के लिए दीर्घावधि सरकारी जमा शामिल हैं। सोने को एक सुरक्षित-संपत्ति माना जाता है, जो भू-राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के समय में लोकप्रिय हो रहा है। यह धातु 2025 में पहले ही 16 रिकॉर्ड ऊंचाई छू चुकी है, चार मौकों पर 3,000 डॉलर प्रति औंस के मार्क को पार कर चुकी है। (इनपुट-आईएएनएस)