यमुना नदी के किनारे छठ पूजा की अनुमति देने के लिए एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई थी, जिसमें इस पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी गई। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने कोई भी निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया। अदालत ने यमुना नदी के गंभीर प्रदूषण का हवाला देते हुए कहा कि नदी में पूजा करने की अनुमति देने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हाल ही में एक मामले का जिक्र करते हुए अदालत ने बताया कि एक व्यक्ति ने प्रदूषित पानी में डुबकी लगाई थी और इसके बाद बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।
छठ पूजा के लिए लगभग 1,000 वैकल्पिक स्थानों को किया गया निर्धारित किया गया
अदालत ने यह भी बताया कि पूजा के लिए लगभग 1,000 वैकल्पिक स्थानों को निर्धारित किया गया है, जहां उचित व्यवस्थाएं की गई हैं। इसके चलते अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अन्य घाट और निर्धारित स्थान हैं, जहां लोग सुरक्षित रूप से पूजा कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी माना कि यमुना नदी में उच्च प्रदूषण स्तर के कारण प्रतिबंध लगाया गया है और चेतावनी दी कि इस जहरीले पानी में स्नान करने से लोग बीमार हो सकते हैं।
कोर्ट में यह याचिका पूर्वांचल नव निर्माण संस्थान ने की थी, जिसमें यमुना नदी के किनारे छठ पूजा की अनुमति मांगी गई थी। याचिकाकर्ता का तर्क है कि पहले कोविड-19 महामारी के दौरान अनुमति देने से मना कर दिया गया था, और अब फिर से प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिससे दिल्ली में पारंपरिक रूप से छठ पूजा करने में लोगों को कठिनाई हो रही है।