केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने आज (8 अक्टूबर 2024) को विश्व कपास दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में भाग लिया। कपड़ा मंत्रालय ने भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) और भारतीय कपास निगम के साथ मिलकर “कॉटन टेक्सटाइल मूल्य श्रृंखला को आकार देने वाले मेगाट्रेंड्स” विषय पर आयोजित सम्मेलन की मेजबानी की।
कपड़ा मंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों से कहा 2030 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य प्राप्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य भी शामिल है। यह तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब कपास मूल्य श्रृंखला के सभी हितधारक एक साथ मिलकर काम करें।
उन्होंने यह भी अनुभव साझा किया कि कैसे उच्च घनत्व वाले रोपण, कम अंतराल, ड्रिप फर्टिगेशन आदि जैसे सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों को अपनाने से वर्तमान राष्ट्रीय औसत उपज लगभग 450 किलोग्राम के मुकाबले उपज को 1500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाया जा सकता है। इसलिए सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों को अपनाने की सख्त जरूरत है। इस पायलट परियोजना के परिणाम अन्य क्षेत्रों के किसानों को बेहतर उपज के लिए इन पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
उन्होंने कपास की खेती में खरपतवार प्रबंधन की समस्या के बारे में भी अपनी चिंता व्यक्त की, जिससे कपास किसानों की श्रम लागत बढ़ जाती है। इसके अलावा, कपास मुख्य रूप से काली मिट्टी में उगाया जाता है, जिससे गीली मिट्टी में समय पर खरपतवार प्रबंधन करने में कठिनाई होती है। उपयुक्त नई बीज किस्मों को अपनाकर कपास किसानों को खरपतवार प्रबंधन की समस्या से निपटने में मदद करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए और उन्होंने इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से लेने और हमारे देश में अपनाने के लिए दुनिया में उपलब्ध इस नई बीज तकनीक जैसे एचटी बीटी की उपयुक्तता की जांच करने की अपील की।
कपड़ा सचिव रचना शाह ने अपने संबोधन में कपास अर्थव्यवस्था के महत्व का उल्लेख किया, जो सीधे तौर पर छह मिलियन कपास किसानों को आजीविका प्रदान करती है और कपास मूल्य श्रृंखला में विभिन्न अन्य गतिविधियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगे 45 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करती है। उन्होंने देश में कुल रेशे में कपास रेशे की हिस्सेदारी लगभग 60% होने का उल्लेख किया, जबकि दुनिया में यह 23% है।
हालांकि, उन्होंने आग्रह किया कि कपास मूल्य श्रृंखला के सभी हितधारकों को कपास उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि उपज के मामले में भारत 35वें स्थान पर है। उन्होंने सभी हितधारकों से उत्पादकता की इस गंभीर चुनौती का समाधान करने के लिए सहयोगी दृष्टिकोण अपनाने की अपील की, जिसका सामना पूरी कपास मूल्य श्रृंखला कर रही है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव शुभा ठाकुर ने कपास की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार की पहलों पर चर्चा करते हुए, किसानों की आजीविका में सुधार लाने के लिए किसानों द्वारा सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों को अपनाने में वस्त्र मंत्रालय के साथ निकट समन्वय में काम करने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
वस्त्र मंत्रालय की संयुक्त सचिव प्राजक्ता वर्मा ने मुख्य भाषण देते हुए बताया कि स्थिरता को बढ़ाना सर्वोपरि है और इसलिए मंत्रालय ने वस्त्र सलाहकार समूह (टीएजी) के गठन के माध्यम से सहयोगात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया है, जहां वस्त्र उद्योग की चुनौतियों का समाधान भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने कपास उत्पादन और उपज बढ़ाने के लिए समग्र योजना की पहल शुरू करने में अंतर-मंत्रालयी समन्वय पर भी प्रकाश डाला, जिससे किसानों को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय वस्त्र मंत्री ने कार्यक्रम के गणमान्य व्यक्तियों के साथ विभिन्न प्रदर्शक स्टालों का दौरा किया, जहां कस्तूरी कपास उत्पाद, पुनर्नवीनीकृत वस्त्र, स्क्रैप फैब्रिक के उत्पाद, हथकरघा उत्पाद आदि प्रदर्शित किए गए।
उद्घाटन सत्र के दौरान वस्त्र मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव रोहित कंसल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश ने वर्तमान 176 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 2030 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वस्त्र पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने सूती वस्त्र मूल्य श्रृंखला के हितधारकों से वर्तमान और संभावित प्रतिस्पर्धी रेशों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से अवगत होने का आग्रह किया ताकि कपास भारतीय वस्त्र उद्योग का विरासत क्षेत्र बन सके, इसके अलावा उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सूती वस्त्र मूल्य श्रृंखला के लिए स्थिरता एक अनिवार्य शर्त है।
श्री राकेश मेहरा, चेयरमैन सीआईटीआई ने इस बात पर जोर दिया कि कपड़ा उद्योग में कपास सबसे पुराना फाइबर है, जो आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, किसानों को आजीविका प्रदान करने, महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।