भारत समुद्र के गहराई तक छुपे राज को खंगालने के लिए डीप ओशन मिशन पर काम कर रहा है। इस बारे में बताते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने
कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी), चेन्नई के माध्यम से एक मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ विकसित कर रहा है। इसका उद्देश्य समुद्री अन्वेषण और अवलोकन के लिए वैज्ञानिक सेंसर के एक सेट के साथ तीन लोगों को समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक ले जाना है। मानवयुक्त पनडुब्बी मत्स्य 6000 के 2026 तक बनने की संभावना है।
डीप ओशन मिशन का उद्देश्य
डीप ओशन मिशन के अंतर्गत विकसित प्रौद्योगिकियां गहरे समुद्र में मानव-संचालित वाहन विकास के लिए देश की क्षमता का विस्तार करेंगी तथा गहरे समुद्र में सतत अन्वेषण और गहरे समुद्र में सजीव एवं निर्जीव संसाधनों के दोहन का मार्ग प्रशस्त करेंगी। गहरे समुद्र के अन्वेषण में जैव विविधता, सर्वेक्षण और खनिज संसाधन शामिल हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी सशक्तिकरण के लाभों के अलावा, इस मिशन के अंतर्गत पानी के भीतर इंजीनियरिंग नवाचार, परिसंपत्ति निरीक्षण और महासागर साक्षरता को बढ़ावा देने में तत्काल लाभ हैं।
6000 मीटर की गहराई तक मानव को सुरक्षित ले जाने में सक्षम
डीप ओशन मिशन के तहत मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ विकसित की जा रही है, जिसमें 2.1 मीटर आंतरिक व्यास वाला टाइटेनियम मिश्रधातु से बना पर्सनेल स्फीयर होगा, जो 6000 मीटर की गहराई तक मानव को सुरक्षित ले जाने में सक्षम होगा। टाइटेनियम मिश्रधातु से बने पर्सनेल स्फीयर का एकीकरण इसरो के सहयोग से किया जा रहा है। मानवयुक्त पनडुब्बी को उत्पलन प्रबंध के लिए सबसिस्टम,अवतरण/उत्थान सक्षम प्रणाली, ऊर्जा और नियंत्रण प्रणाली, संचालन प्रणोदक, समुद्र में हस्तक्षेप करने वाले मैनिपुलेटर्स, नेविगेशन और पोजिशनिंग डिवाइसेस, डेटा और वॉयस संचार प्रणाली, ऑन-बोर्ड ऊर्जा भंडारण बैटरियां तथा आपातकालीन सहायता प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा।
6000 मीटर की गहराई पर 12 घंटे तक निरंतर संचालन के लिए डिजाइन
इसे गहरे पानी के अवलोकन और अन्वेषण के लिए 96 घंटे तक की आपातकालीन क्षमता के साथ 6000 मीटर की गहराई पर 12 घंटे तक निरंतर संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। मानव सहायता और सुरक्षा प्रणाली, जो तीन व्यक्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, को नियमित और आपातकालीन परिदृश्यों के दौरान अनुकूलन और उपयोग के लिए महसूस किया गया है। गहरे समुद्र में की जाने वाली गतिविधियां, गहरे समुद्र में सजीव और निर्जीव संसाधनों की खोज, संयुक्त राष्ट्र के शासी निकायों के दिशा-निर्देशों के अनुसार की जा रही हैं।
समुद्री जीव विज्ञान में क्षमता निर्माण के विस्तार को प्राथमिकता
हासागर जलवायु परिवर्तन परामर्श सेवाओं का विकास, समुद्र स्तर में परिवर्तन, चक्रवात, तूफानी लहरों और लहरों की तीव्रता तथा अनुमानित जलवायु में तटीय कटाव और जलप्लावन पर उनके प्रभावों के अनुमान लगाने के लिए मजबूत डेटा अधिग्रहण और विश्लेषण पर निर्भर करता है। एक बहुविषयक अनुसंधान पोत का अधिग्रहण प्रगति पर है। देश में समुद्री जीव विज्ञान में क्षमता निर्माण के विस्तार को भी प्राथमिकता दी जा रही है, इसके लिए एक समर्पित उन्नत समुद्री समुद्री जीव विज्ञान स्टेशन (एएमएसओबी) की स्थापना की जा रही है।