रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लद्दाख में सियाचिन ग्लेशियर के कुमार पोस्ट पर तैनात सशस्त्र बल के जवानों के साथ बातचीत की। बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज (22 अप्रैल) सियाचिन के दौरे पर हैं। राजनाथ सिंह ने सियाचिन में जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे अनुसार दीपावली का पहला दीया, होली का पहला रंग भारत के रक्षकों के नाम होना चाहिए। हमारे सैनिकों के साथ होना चाहिए। उन्होंने सियाचिन बेस कैंप में युद्ध स्मारक पर बहादुरों को पुष्पांजलि अर्पित की। रक्षा मंत्री का इस साल होली पर लद्दाख जाने का कार्यक्रम था लेकिन खराब मौसम के चलते स्थगित हो गया था।
सोशल मीडिया एक्स पर दी जानकारी
आज सुबह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सियाचिन के लिए विमान से रवाना हुए। उन्होंने इसकी जानकारी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर दी। उन्होंने लिखा कि वहां तैनात हमारे साहसी सशस्त्र बल कर्मियों के साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक हूं।
लद्दाख में सैनिकों को किया संबोधित
सियाचिन बेस कैंप, लद्दाख में सैनिकों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों से कहा, “मैं होली के अवसर पर नहीं आ पाया था लेकिन अब मैं होली की शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि सियाचिन की धरती कोई सामान्य धरती नहीं है। यह भारतीय राष्ट्रीय संप्रभुता और दृढ़ता का एक मूर्त प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह जगह भारतीय पराक्रम का मंदिर है।
होली का पहला रंग भारत के रक्षकों के नाम होना चाहिए
उन्होंने कहा कि पर्व-त्योहार मानाने का आंनद अपनों के साथ आता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैनिकों से कहा कि होली के अवसर पर मौसम खराब होने के कारण मैं चाहते हुए भी आप लोगों के बीच नहीं पहुंच पाया इसलिए लेह में ही जवानों के साथ होली मनाई थी। उन्होंने कहा कि वह एक स्वजन के रूप में अपने परिवारवालों के साथ यहां मिलने आया हूं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हम सब जानते है भारत में परम्परा है कि हमारे यहां कोई शुभ अवसर आता है उसकी शुरुआत हम अपने आराध्य की पूजा-अर्चना के साथ करते हैं। उन्होंने कहा कि हम भोज करते है तो पहले ईश्वर को भोग लगाया जाता है, भगवान को भोजन अर्पित करने के बाद किसी श्रेष्ठ जन या घर आए संत या महात्मा, पुरोहित या गुरु को भोजन अर्पित करने के बाद को ही घर के लोग भोजन ग्रहण करते है। मेरे अनुसार दीपावली का पहला दीया, होली का पहला रंग भारत के रक्षकों के नाम होना चाहिए। हमारे सैनिकों के साथ होना चाहिए। पर्व-त्योहार पहले सियाचिन की चोटियों पर मनाए जाने चाहिए। राजस्थान के तपते रेगिस्तान में मनाए जाने चाहिए, हिन्द महासागर की गहराई में स्थित पनडुब्बी में जवानों के साथ मनाए जाने चाहिए।