दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने 27 साल बाद ऐतिहासिक जीत हासिल की है। 8 सीटों पर कब्ज़ा जमाकर बीजेपी इस बार 70 सीटों में से 48 सीटों तक पहुंच गई जबकि आम आदमी पार्टी 62 सीटों से घटकर सीधे 22 पर लुढ़क गई। वहीं कांग्रेस एक भी सीट नहीं हासिल कर सकी और वह लगातार तीसरी बार शून्य पर रही।
बीजेपी की ऐतिहासिक जीत, विपक्ष धराशायी
बीजेपी ने 71% स्ट्राइक रेट के साथ 40 सीटें बढ़ाईं। पार्टी ने 68 सीटों पर चुनाव लड़ा और 48 सीटें जीतीं, जबकि AAP को 40 सीटों का नुकसान हुआ। AAP का स्ट्राइक रेट 31% रहा। बीजेपी का वोट शेयर 45.64% रहा, जो पिछले चुनाव (2020) की तुलना में 9% ज्यादा है। AAP को 43.55% वोट मिले, जो 2020 के मुकाबले करीब 10% कम हैं। कांग्रेस को सिर्फ 6% वोट शेयर मिला।
नई दिल्ली सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और AAP प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल खुद चुनाव हार गए। मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज समेत AAP के कई दिग्गज नेता हार गए। यह आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका है।”केजरीवाल मॉडल” की राजनीति चर्चा में रही, जिसमें बिजली-पानी मुफ्त देने के अलावा “कट्टर ईमानदारी” का दावा किया गया था।
केजरीवाल का “कट्टर ईमानदारी” मॉडल बेनकाब
“कट्टर ईमानदार” जैसा अनोखा मुहावरा खुद केजरीवाल ने गढ़ा था लेकिन जनता ने उन्हें “कट्टर बेईमान” के रूप में देखा। जहां एक तरफ मनीष सिसोदिया की हार से “शिक्षा मॉडल” वहीं दूसरी तरफ सत्येंद्र जैन की हार से “स्वास्थ्य मॉडल” की सच्चाई उजागर हो गई। केजरीवाल ने सत्ता में आने से पहले वीआईपी कल्चर के खिलाफ आवाज उठाई थी लेकिन बाद में सरकारी बंगले, गाड़ियों और सुविधाओं का खूब उपयोग किया।
आप की हार का राजनीतिक संदेश
AAP की हार विपक्षी गठबंधन “INDIA” के लिए बड़ा झटका है और इससे उसमें दरारें गहरी हो सकती हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गठबंधन को लेकर कांग्रेस पर हमला किया। इस चुनाव ने यह भी साबित कर दिया कि “संविधान खतरे में है” और “लोकतंत्र बचाओ” जैसे नारे अब असर नहीं कर रहे हैं।