दिल्ली की वायु गुणवत्ता आज गुरुवार को भी लगातार ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी रही, जहां दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में आज सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 330 से अधिक दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक सुबह 7 बजे तक आनंद विहार का AQI 392, अशोक विहार का 350, IGI एयरपोर्ट टर्मिनल 3 का 334, ITO दिल्ली का 324, आरके पुरम का 359, और द्वारका सेक्टर-8 का AQI 348 रहा। यह सभी AQI ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आते हैं।
वहीं दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर पर गहरी चिंता जताई है। राय ने बताया कि हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से उत्पन्न धुएं को दिल्ली की ओर बहने वाली उत्तर-पश्चिमी हवाएं राजधानी की हवा में अधिक प्रदूषण ला रही हैं। उन्होंने कहा कि हवाओं की दिशा के कारण पराली जलाने का प्रभाव दिल्ली में अधिक दिख रहा है। बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर सभी विभागों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से इस मुद्दे पर एक आपात बैठक बुलाने का आग्रह किया और कृत्रिम वर्षा के समाधान पर शोध को तेजी से आगे बढ़ाने की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने पड़ोसी राज्यों से इस अवधि के दौरान डीजल वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर रोक लगाने की भी अपील की है,इसके साथ GRAP के दूसरे चरण को भी लागू किया गया ताकि बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके।
पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान सालभर में केवल 6-8% तक सीमित रहता है। हालांकि, अक्टूबर और नवंबर के महीनों में यह बढ़कर 25-30 फीसदी तक हो जाता है। IIT दिल्ली के प्रोफेसर सागनिक डे ने कहा, “सालभर पराली जलाने का योगदान सीमित रहता है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर के दौरान यह प्रमुख प्रदूषक बन जाता है।” आपको बता दें कि AQI के मुताबिक वायु गुणवत्ता को 0-50 के बीच ‘अच्छा’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101-200 के बीच ‘मध्यम’, 201-300 के बीच ‘खराब’, 301-400 के बीच ‘बहुत खराब’, और 401-500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा जाता है।
दिल्ली में यमुना नदी भी झेल रही प्रदूषण की मार
एक तरफ दिल्ली जहां वायु प्रदूषण की मार झेल रही है दूसरी तरफ गंभीर जल प्रदूषण का भी सामना करना पड़ रहा है। कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी में जहरीले झाग की उपस्थिति दर्ज की गई। इस झाग का मुख्य कारण औद्योगिक अपशिष्ट और असामान्य जल निकासी मानी जा रही है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।