उत्तराखंड के ऋषिकेश में एम्स ऋषिकेश के चौथे दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल रहीं। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद सहित भारतीय परंपरा की उपचार पद्धतियों के लिए उत्तराखंड में अनेक स्वास्थ्य केंद्र सेवारत हैं। एम्स ऋषिकेश में एलोपैथी के साथ आयुष चिकित्सा पद्धति से भी मरीजों का उपचार किया जा रहा है। ऐसे में व्यापक स्तर पर उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं से देवभूमि उत्तराखंड की ख्याति ‘आरोग्य भूमि’ के रूप में भी स्थापित होगी। राष्ट्रपति ने एम्स ऋषिकेश के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में 598 मेडिकल विद्यार्थियों को दी उपाधि, गोल्ड-सिल्वर-कांस्य पदक से नवाजा।
अच्छा और कम खर्च में इलाज होना एम्स की पहचान
राष्ट्रपति ने कम समय में ही प्रचुर प्रतिष्ठा अर्जित करने के लिए अतीत और वर्तमान में एम्स ऋषिकेश से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि लगभग एक दशक की अपनी विकास यात्रा से एम्स ऋषिकेश ने अच्छी पहचान बना ली है। उन्होंने कहा कि एम्स का मतलब होता है सबसे अच्छे डॉक्टरों द्वारा इलाज होना। सबसे अच्छा और कम खर्च में इलाज होना एम्स की पहचान है। एम्स के इलाज का फायदा अधिक से अधिक लोगों को मिल सके और अधिक से अधिक मेधावी विद्यार्थी एम्स में शिक्षा प्राप्त कर सकें। इन उद्देश्यों के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में अनेक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों की स्थापना की जा रही है।
अनुसंधान से विकसित भारत के निर्माण में दे सकेंगे योगदान
भारत में डायबिटीज से प्रभावित लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है, जो विश्व में सर्वाधिक है। डायबिटीज के इलाज के रूप में सेमाग्लूटाइड आजकल चर्चा में है। उत्तराखंड में धूप की कमी और स्थानीय खान-पान के कारण ऑस्टियोपोरोसिस, एनीमिया जैसी बीमारियों से लोग विशेषकर महिलाएं प्रभावित होती हैं। ग्लोबल मेडिसिन युग में भी चिकित्सा से जुड़ी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय समस्याओं के बारे में अनुसंधान करना और उनका समाधान करना एम्स ऋषिकेश जैसे संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने एम्स ऋषिकेश को पब्लिक हेल्थ और कम्युनिटी इंगेजमेंट पर अधिक से अधिक ध्यान देने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करके देश के ऐसे अग्रणी संस्थान स्वस्थ भारत और विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे।
भारत में पहली बार कार टी-सेल थेरेपी
आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करना एम्स ऋषिकेश जैसे संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए। एम्स ऋषिकेश कार टी-सेल थेरेपी और स्टेम सेल रिसर्च के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत है। भारत में पहली बार इस तरह की थेरेपी विकसित की गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह थेरेपी अन्य देशों की तुलना में बहुत कम खर्च पर उपलब्ध कराई जा रही है। एम्स ऋषिकेश को ऐसे क्षेत्रों में सहयोग करके तेजी से आगे बढ़ना चाहिए। कृत्रिम होशियारी और रोबोटिक की भूमिका निदान और उपचार में निरंतर बढ़ती रहेगी।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी सामाजिक बदलाव की तस्वीर
उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश में विद्यार्थियों में छात्राओं की कुल संख्या 80 प्रतिशत से अधिक है। भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़े नीति निर्धारण से लेकर स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी अच्छे सामाजिक बदलाव की तस्वीर प्रस्तुत करती है। समाज के लिए गर्व की बात है कि दीक्षांत समारोह में पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बहुत तेज गति से परिवर्तन हो रहे हैं। परिवर्तन की यह गति बढ़ती ही रहेगी। हमेशा कुछ नया सीखने और कुछ नया करने का उत्साह बनाए रखें।