चार बार मुख्यमंत्री और फिर तीसरी बार लगातार प्रधानमंत्री, कोई यूँ ही नहीं बन जाता। वह भी अपने काम और नाम की बदौलत इतिहास रचने वाली शख़्सियत सिर्फ़ भाग्य के सहारे यह मुक़ाम नहीं पाती। पुरुषार्थ और लगातार जनता के सरोकारों से जुड़कर निरंतर जब नतीजे देने का माद्दा और हैसियत हो, तो वह मोदी बनता है। संविधान के 75 वर्षों की यात्रा पर हुई चर्चा का जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने जवाब दिया, उससे एक बार फिर साबित हुआ कि, राजनीति सिर्फ़ भाषणबाज़ी की कला नहीं, बल्कि सुशासन और परिश्रम की पटरियाँ बिछाकर उस पर जनता की आकांक्षाओं का इंजन बनकर राजनीति की बुलेट ट्रेन चलाने का हुनर उन्हें आता है।
लोकसभा के चुनाव में संविधान के नैरेटिव पर मोदी एक्सप्रेस की रफ़्तार को थोड़ा मद्धिम करने में सफल रहा विपक्ष, संसद में पूरी तरह असफल रहा। संविधान पर चर्चा में भी वह घिसे-पिटे तरीक़े से अप्रासंगिक हो रहे मुद्दे उठाकर सिर्फ़ मोदी पर हमला करता रहा। वहीं, प्रधानमंत्री ने संविधान को ही केंद्र में रखकर विपक्ष की धज्जियाँ उड़ा डालीं। अपने विशिष्ट चुटकीले अंदाज में उन्होंने विपक्ष को तो संविधान का पाठ सही से पढ़ाया ही, साथ ही, यह भी साबित कर दिया कि, संविधान की मूल भावना के अनुरूप कैसे उन्होंने पिछले 10 वर्षों में विकास और प्रगति की योजनाओं को एकाकार किया। सरकारी योजनाओं और फ़ैसलों से पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोया। यह तो उन्होंने साबित ही किया, साथ ही 11 सूत्रीय संकल्प भी देश के सामने पेश कर दिया।
लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने संविधान को मुद्दा बनाया था। मोदी के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान ही यही था कि, अगर भाजपा 400 पार हुई तो फिर संविधान संशोधन कर दलितों से उनका आरक्षण छीन लिया जाएगा। उत्तर प्रदेश समेत तमाम जगहों पर विपक्ष के इस दांव ने काम भी किया था। इसीलिए, उत्साहित विपक्ष और ख़ासतौर से कांग्रेस ने संविधान संसद में चर्चा की मांग की थी।विपक्ष लगातार यही आरोप भी लगाता चला आ रहा है कि, मोदी संविधान के विरोधी हैं। वह संविधान नहीं मानते। उनका अलग संविधान चलता है। इस तरह के आरोप लोकसभा से लेकर महाराष्ट्र विधानसभा तक के चुनाव में लगातार उठाए जाते रहे। कहते हैं न कि, जोश में होश नहीं खोने चाहिए। विपक्ष ये भूल गया कि, ये चुनावी रैली नहीं। प्रेस कांफ्रेंस नहीं। पत्रकारों से साक्षात्कार नहीं।सोशल मीडिया पोस्ट नहीं। संसद में जो भी बोलना होता है, वह तथ्यों और तर्कों की कसौटी पर बोलना होता है।
फेक नैरेटिव बनाते रहे विपक्ष, ख़ासतौर से राहुल गांधी और कांग्रेस की कलई लोकसभा में चर्चा के दौरान पूरी तरह खुल गई। अधकचरी तैयारी के साथ उतरे विपक्ष ने संविधान पर चर्चा के बजाय राजनीतिक आरोप ही ज़्यादा मढ़े। प्रियंका गांधी की पहली लोकसभा स्पीच और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का भाषण बेहद सतही और सिर्फ़ राजनीतिक आरोपों से ही भरा रहा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी पीडीए के मुद्दे पर ही बोले, लेकिन संविधान की अवहेलना पर मोदी को घेरने के लिए विपक्ष के पास कोई तर्क या तथ्य नहीं था। अलबत्ता एक ही बात रटी जाती रही कि, संविधान ख़तरे मेंहै। लेकिन क्यों ख़तरे में है? ऐसा क्या हो रहा है..? इस पर कोई उद्धरण नहीं, संस्मरण नहीं। बस, कौआ कान ले गया वाली शैली में बातें होती रहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सब चुपचाप सुना। सबको भड़ास निकालने दी। फेक नैरेटिव की शिथिल प्रत्यंजा से निकले विपक्ष के तेजहीन और भोथरे तीरों का तो खैर क्या ही असर होता। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी जब बोले तो उन्होंने धारदार तर्कों, अकाट्य तथ्यों और इतिहास के पन्नों से निकले अमिट उद्धरणों से विपक्ष, ख़ासतौर से कांग्रेस का हलक सुखा दिया। संविधान के अपमान और अवमानना पर कांग्रेस के कृत्यों को जब उन्होंने उघाड़ना शुरू किया तो विपक्षी बेंच उद्धिग्न, असहज और खिसियाई सी दिखी। टोका-टाकी और हंगामा करने की कोशिश भी की। लेकिन, पीएम ने दोघंटे में बस 10 मिनट कम तक दिए भाषण में कुछ भी नहीं छोड़ा। ख़ास बात ये है कि, उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में ही पूरी चर्चा केंद्रित रखी और ख़ुद को बाबा साहब अंबेडकर और संविधान सभाकी मंशा के अनुरूप काम करने वाले शख़्स के तौर पर तर्कों के साथ साबित भी कर दिया। उलटे कांग्रेस को ही संविधान के अपमान का पापी भी घोषित कर दिया। कांग्रेस को संविधान का शिकारी करार देते हुए उन्होंने वास्तव में मुख्य विपक्षी दल का ही शिकार कर लिया।
नेहरू-गांधी परिवार के द्वारा संविधान के अपमान पर पीएम मोदी ने जो प्रहार किया, उससे पहले उन्होंने अपनी सरकार की ओर से किये गये कामों को गिनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, विविधता मेंएकता भारत की विशेषता और संविधान की धारा 370 इसमें दीवार बन गई थी और जब हमारी सरकार आई तो हमने उस दीवार को ढहा कर जमीन गाड़ दिया। यानी, वन नेशन वन कॉन्स्टीट्यूशन। उन्होंने गिनाया कि, हेल्थ इज वेल्थ यानी स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है और एनडीए सरकार ने वन नेशन-वन हेल्थ कार्ड देकर देश में इलाज नाम की समस्या को खत्म करने की कोशिश की है और ये गरीबों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान पर बहस का जवाब देते हुए वन नेशन वन राशन कार्ड का भी जिक्र किया। वैसे देखा जाए तो राशन की व्यवस्था ने देश से भूखमरी का जैसे उन्मूलन कर दिया हो। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वन नेशन वन ग्रिड की खूबियों के बारे में बताया कि, इसने घर-घर बिजली पहुंचाने का काम किया। इसी कड़ी में उन्होंने बताया कि, उनकी सरकार ने जनधन योजना के तहत 50 करोड़ गरीबों के बैंक खाते तो खोले ही, किसानों के खाते में ट्रांसपेरेंट तरीके से डायरेक्ट पैसा डालने के बारे में भी बताया और इस काम में डिजिटल क्रांति का जिक्र करना नहीं भूले।
यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में 11 संकल्प भी गिना दिए और कहा कि, नागरिक और सरकार अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें। सबका साथ, सबका विकास की भावना बनी रहनी चाहिए और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति से उसकी सामाजिक स्वीकार्यता पर लगाम लगाएगी तो राजनीति में समय आ गया है, जब परिवारवाद पर पूर्ण विराम लगाया जाना चाहिए।साथ ही, देश की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने से लेकर राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार बनाने के बजाय, उसका सम्मान किया जाना चाहिए और देश में जिन वर्गों को संविधान के तहत आरक्षण मिल रहा है वो जारी रहें। लेकिन, धर्म के आधार पर आरक्षण देने की जो कोशिश हो रही, वो हरगिज ना हो। प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के नेतृत्व के साथ-साथ ये भी कहा कि, राज्य के विकास के जरिये ही राष्ट्र का विकास सुनिश्चित किया जाये। यानी एक भारत, श्रेष्ठ भारत का लक्ष्य ही सर्वोपरि होगा ।
संविधान बदलने के आरोप लगा रहे राहुल गांधी और कांग्रेस पर बेहद तीखा हमला प्रधानमंत्री मोदी ने बोला और कहा कि, उनके मुंह में संविधान संशोधन का खून लग गया था। वो समय-समय पर संविधान का शिकार करती रही और संविधान की आत्मा को लहूलुहान करती रही। कांग्रेस ने 55 वर्षों में करीब 75 बार संविधान बदला और जो बीज जवाहर लाल नेहरू ने बोया, उसको खाद-पानी देने का काम उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने किया।
उन्होंने गिनाया कि, 1975 में 39वें संविधान संशोधन ने राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, अध्यक्ष, प्रधानमंत्री के चुनाव के खिलाफ कोर्ट जाने पर रोक लगा दी। यानी, प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक समय के साथ खूनी पंजा और खूंखार होता चला गया। इमरजेंसी, गरीबी हटाओ से लेकर संविधान में बदलाव तक नेहरू-गांधी परिवार ने 6 दशक के सफर में जो-जो किया, उसके बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने देश को जो बताया, उसे नेहरू-गांधी परिवार की कई पुश्तें याद रखेंगी।
गौरतलब है कि, पिछले दस सालों से कांग्रेस का हर दूसरा नेता जुमला शब्द को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर रहता है। लेकिन, नरेन्द्र मोदी ने संविधान की बहस में इसे सूद समेत वसूल कर लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, इन दिनों कांग्रेस का सबसे प्रिय शब्द, जिसके बिना वो जी नहीं सकते वो है, जुमला और गरीबी हटाओ कांग्रेस का सबसे पसंदीदा जुमला बन गया था। लेकिन, जिन्हें पता ही नहीं कि, गरीबी होती क्या है वो इसके बारे में क्या जाने।
दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की सीटें कम होने के बाद राहुल गांधी लाल किताब लेकर प्रधानमंत्री मोदी के मानो पीछे ही पड़े हों। लेकिन, आज जब प्रधानमंत्री मोदी को एक बार मौका मिला तो उन्होंने सामने से राहुल गांधी की चार पुश्तों की उन कारस्तारियों को गिना दिया, जिन्होंने खुलेआम कई बार संविधान का अपमान किया।
मोदी जैसे अपने पुराने फार्म में लौटे तो ताबड़तोड़ अपने काम गिनाकर विपक्ष को भी जमकर धोया। बहस की शुरुआत में प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पहले ही भाषण में मोदी सरकार और बीजेपी कोकायर कहा और उनके भाई राहुल गांधी इस बार अभय मुद्रा से आगे तपस्या की गर्मी और एकलव्य का अंगूठा लेकर लोकसभा में अवतरित हुए थे। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी जब खड़े हुए तो पहले उन्होंने राहुल की गर्मी उतारी और जैसा कि, बहन प्रियंका गांधी वाड्रा, जिनका अभी-अभी संसदीय राजनीति में जन्म हुआ है, उन्हें नजरअंदाज किया। मगर, संविधान के साथ किए गए खिलवाड़ पर पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक किसी को भी नहीं बख्शा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, इस देश पर 55 साल एक ही परिवार ने राज किया। जिसने देश का संविधान छिन्न-भिन्न करते हुए इमरजेंसी थोपी। अदालतों तक के पर कतर दिए और संसद का गला घोंट दिया। इस परिवार ने सरकार के समानांतर अपनी सरकार बनाकर उसे खुलेआम चुनौती दी। इसी परिवार का एक सदस्य जो सिर्फ सांसद था, उसने खुलेआम सरकार के ऑर्डिनेंस को प्रेस के सामने फाड़ कर फेंक दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने जवाहरलाल नेहरू को भी नहीं छोड़ा या कहें तो उन्हीं से शुरू किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, 1951 में पंडित नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि, अगर संविधान आड़े आता है, तो हमें किसी भी कीमत पर संविधान में बदलाव करना होगा। तब, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें आगाह किया था कि, यह गलत है। लेकिन, पंडित नेहरू ने इसे अनसुना कर दिया क्योंकि, उनका अपना ही संविधान था।
इसी दौरान, जब प्रधानमंत्री मोदी इंदिरा गांधी पर आए तो फिर उन्होंने इमरजेंसी का जिक्र कर कांग्रेस को उसके अपराध नहीं, पाप की याद दिला दी। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के मौजूदा साथियों को भी रगड़ा, जिन्हें आपातकाल के समय इसी कांग्रेस ने आतंकित किया था। जेलों में डाला था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, तब देश को जेलखाना में तब्दील कर दिया गया था। नागरिकों तक के अधिकार छीन लिए गए थे और इमरजेंसी कांग्रेस के माथे पर लगा ऐसा पाप है, जो कभी धुल ही नहीं सकता।
इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निशाने पर राजीव गांधी थे। उन्होंने कहा कि, राजीव गांधी ने शाहबानो प्रकरण में वोटबैंक के लिए संविधान की भावना की बलि चढ़ा दी और कट्टरपंथियों के सामने नतमस्तक हो गए। तब संसद में प्रचंड बहुमत की ताकत से राजीव गांधी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक माइल स्टोन फैसले को पलटा था। जिसका खामियाजा मुस्लिम समाज की महिलाओं ने लंबे समय तक भुगता और जब मोदी सरकार आई तो मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक समेत कुछ अहम कानून संसद से पास हुए।
प्रधानमंत्री मोदी जब सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर आए तो फिर उन्होंने मां-बेटे को कहीं का नहीं छोड़ा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि, मां-बेटे के समय इतिहास में पहली बार संविधान को इतनी गहरी चोट पहुंचाई गई। तब, नेशनल एडवायजरी काउंसिल यानी एनएसी को पीएमओ के ऊपर बैठा दिया गया। यहां तक कि, एक अहंकार से भरे व्यक्ति ने कैबिनेट के निर्णय को फाड़ दिया और कैबिनेट को अपना फैसला बदलना पड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र ने यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भी कांग्रेस को सुना दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि, संविधान सभा में इस पर लंबी चर्चा हुई थी और बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ने धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ को खत्म करने की जोरदार वकालत की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि, इसे जल्द से जल्द लाना चाहिए। लेकिन, कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट की भावना का भी अनादर कर रही है। कुल मिलाकर संविधान पर बहस के दौरान जहां विपक्ष का थोथापन उजागर हुआ, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान पर विपक्ष का नैरेटिव फेक भी साबित कर दिया। अब आने वाले दिनविपक्ष के लिए और कठिन होने वाले हैं, क्योंकि मोदी अब पूरे फार्म में फिर से नज़र आने लग गए हैं।
(राजकिशोर बुलंद भारत टीवी के चीफ़ एडिटर हैं। थिंक टैंक जीपीआई (ग्लोबल पॉलिसी इनसाइट्स) में भी वे एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं।)