ऑस्ट्रेलियाई रिसर्च से पता चला है कि डीएनए की मरम्मत से यह पता लग सकता है कि रेडियोथेरेपी के बाद कैंसर कोशिकाएं कैसे मरती हैं। एक नए रिसर्च में यह चला है, जो कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इससे कैंसर इलाज में सफलता की दर का भी पता चलेगा।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सीएमआरआई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि रेडियोथेरेपी के बाद कैंसरग्रस्त ट्यूमर कोशिकाएं कैसे मरती हैं, यह जानने के लिए सिडनी के चिल्ड्रन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमआरआई) के वैज्ञानिकों ने लाइव सेल माइक्रोस्कोप तकनीक के जरिए रेडिएशन थेरेपी की और इसके बाद एक सप्ताह तक इरेडिएट सेल्स पर रिसर्च किया।
जीनोम इंटीग्रिटी यूनिट के प्रमुख सेसरे ने कहा हमारे रिसर्च का परिणाम आश्चर्यजनक
सीएमआरआइ जीनोम इंटीग्रिटी यूनिट के प्रमुख टोनी सेसरे ने कहा, “हमारे रिसर्च का परिणाम आश्चर्यजनक है। परिणाम में सबसे खास बात डीएनए की मरम्मत है, जो आमतौर पर स्वस्थ कोशिकाओं की रक्षा करती है, यह बताती है कि रेडियोथेरेपी के बाद कैंसर कोशिकाएं कैसे मरती हैं।” उन्होंने बताया, “डीएनए की मरम्मत करने वाली प्रक्रियाएं यह पहचान सकती हैं कि कब बहुत अधिक क्षति हुई है, जैसे कि रेडियोथेरेपी से और कैंसर कोशिका को यह निर्देश दे सकती है कि कैसे डेड होना है।“
जब विकिरण (रेडिएशन) से डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो उसे “होमोलॉग्स रीकॉम्बिनेशन” नामक एक विधि से रिपेयर किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि इस प्रक्रिया के दौरान कैंसर कोशिकाएं प्रजनन (सेल डिवीजन या माइटोसिस) के समय मर जाती हैं।
सेसारे ने कहा कि कोशिका विभाजन के दौरान मृत कोशिकाओं को नोटिस नहीं किया जाता है और इम्यून सिस्टम इसे अनदेखा कर देता है इसलिए जरूरी इम्यून प्रतिक्रिया सक्रिय नहीं हो पाती है। हालांकि, अन्य मरम्मत विधियों के माध्यम से रेडिएशन-क्षतिग्रस्त डीएनए से निपटने वाली कोशिकाएं विभाजन से बच गईं, और उन्होंने कोशिका में डीएनए रिपेयर बाइप्रोडक्ट भी रिलीज किए।
कैंसर कोशिका के मृत होने से इम्यून सिस्टम हो जाता है सतर्क
उन्होंने कहा, “कोशिका के लिए ये बाइप्रोडक्ट वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण की तरह दिखते हैं और फिर कैंसर कोशिका के इस तरह से मृत होने से इम्यून सिस्टम सतर्क हो जाता है, जो हम नहीं चाहते हैं।” टीम ने बताया कि होमोलॉग्स रीकॉम्बिनेशन को बंद करने से कैंसर कोशिकाओं के मृत होने या खत्म होने का तरीका बदल गया, जिससे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया मजबूत बन गई।
सफल इलाज की दर में वृद्धि के नए अवसर खुलने की उम्मीद
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस खोज से उन दवाओं का उपयोग संभव हो जाएगा जो होमोलॉग्स रिकॉम्बिनेशन को रोकती है, जिससे रेडियोथेरेपी से उपचारित कैंसर कोशिकाओं को इस तरह से मरने के लिए मजबूर किया जा सके कि प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर के अस्तित्व के बारे में सचेत किया जा सके जिसे नष्ट करने की आवश्यकता है। सीएमआरआइ के बयान में आगे कहा गया कि नेचर सेल बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित ये निष्कर्ष उपचार में सुधार और सफल इलाज की दर में वृद्धि के लिए नए अवसर खोल सकता है। (इनपुट-आईएएनएस)