प्रतिक्रिया | Friday, January 10, 2025

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डीआरडीओ ने पोखरण में कम दूरी की​ ​मिसाइल के तीन सफल परीक्षण किए

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पोखरण से चौथी पीढ़ी की कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली मिसाइल के तीन सफल उड़ान परीक्षण किए हैं। यह एयर डिफेंस सिस्टम रूस के एस-400 की तरह ही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज शनिवार को डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई देते हुए कहा कि आधुनिक तकनीकों से लैस यह नई मिसाइल सशस्त्र बलों को हवाई खतरे के खिलाफ और अधिक तकनीकी बढ़ावा देगी।

इस रक्षा प्रणाली का वजन 20.5 किलोग्राम है। इसकी लंबाई करीब 6.7 फीट और व्यास 3.5 इंच है। यह अपने साथ 2 किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकता है। इसकी रेंज 250 मीटर से 6 किलोमीटर है। अधिकतम 11,500 फीट ऊंचाई तक जा सकता है। अधिकतम गति मैक 1.5 यानी 1800 किमी प्रतिघंटा है । इससे पहले इसकी टेस्टिंग पिछले साल मार्च में और 2022 में 27 सितंबर को की गई थी। उच्च गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्यों के खिलाफ ग्राउंड-बेस्ड मैन पोर्टेबल लॉन्चर से उड़ान परीक्षण के दौरान मिसाइल ने विमान के पास आने और पीछे हटने की नकल की। मिसाइल ने मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा करते हुए लक्ष्यों को नष्ट कर दिया।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक कहीं पर भी ले जाने में सक्षम वायु रक्षा प्रणाली (एमएएनपीएडी) को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की प्रयोगशालाओं में भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) ने स्वदेशी रूप से तैयार और विकसित किया है। इस मिसाइल को दोहरी थ्रस्ट सॉलिड मोटर से संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य सीमित दूरी से कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई उपकरणों के खतरों को बेअसर करना है। उड़ान परीक्षणों को भारतीय सेना के अधिकारियों, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा उद्योग जगत भागीदारों की उपस्थिति में पूरा किया गया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ को दी बधाई

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए इसमें शामिल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, भारतीय सेना और रक्षा उद्योग जगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकियों से लैस यह नई मिसाइल प्रणाली हमारे सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से और अधिक सुसज्जित कर देगी। रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव एवं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष ने भी मिसाइल के डिजाइन तथा विकास कार्य में शामिल पूरी टीम को बधाई दी।

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आखरी अपडेट: 10th Jan 2025