भारत ने एयरोस्पेस की दुनिया में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए नई पीढ़ी के परमाणु सक्षम मिसाइल अग्नि प्राइम का बीते बुधवार को ओडिशा के तट पर सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसके साथ ही जल्द ही डीआरडीओ द्वारा विकसित 2000 किलोमीटर रेंज की इस मिसाइल को सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा।
डीआरडीओ ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया मिसाइल का सफल परीक्षण
गौरतलब हो कि ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से डीआरडीओ ने यह परीक्षण किया। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने अधिकतम सीमा तक जाकर अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाया। यह अग्नि सीरीज की आधुनिक, घातक, सटीक और मीडियम रेंज की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल है। भारत की यह परमाणु मिसाइल एक साथ दुश्मन के कई टारगेट को तबाह कर सकती है। अग्नि प्राइम मिसाइल के तीन सफल विकासात्मक परीक्षणों के बाद यह दूसरा प्री-इंडक्शन नाइट लॉन्च था, जिसने सिस्टम की सटीकता और विश्वसनीयता को बढ़ाया।
अग्नि प्राइम परमाणु मिसाइल का पहला प्री-इंडक्शन नाइट लॉन्च 07- 08 जून, 2023 की रात को किया गया था। बुधवार की रात परीक्षण के दौरान उड़ान डेटा को कैप्चर करने के लिए टर्मिनल बिंदु पर दो डाउनरेंज जहाजों सहित विभिन्न स्थानों पर राडार टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे कई रेंज इंस्ट्रूमेंटेशन तैनात किए थे। अग्नि प्राइम मिसाइल ने उच्च स्तर की सटीकता के साथ सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया।
विभिन्न स्थानों पर तैनात राडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे कई रेंज इंस्ट्रूमेंटेशन से मिले डेटा ने मिसाइल सिस्टम के प्रदर्शन को पूरी तरह सफल करार दिया है। सशस्त्र बलों में पहले से शामिल अग्नि-1 मिसाइल की जगह इसे प्रतिस्थापित किये जाने की योजना है।
अग्नि परियोजना से जुड़े एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि अग्नि-I सिंगल-स्टेज की मिसाइल है, जबकि ‘अग्नि प्राइम’ दो स्टेज के रॉकेट मोटर पर चलने वाली मिसाइल है, जिसका तीसरा स्टेज मैन्यूवरेबल रीएंट्री व्हीकल है। यानी इससे तीसरे स्टेज को दूर से नियंत्रित करके दुश्मन के टारगेट पर सटीक हमला किया जा सकता है। डबल-स्टेज अग्नि प्राइम में एक कनस्तर संस्करण होगा, जिससे इसे सड़क और मोबाइल लॉन्चर दोनों से फायर किया जा सकता है।
अग्नि प्राइम मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए रक्षा मंत्री ने दी बधाई
भारत ने अग्नि प्राइम की नाइट लांचिंग करके एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। खास बात यह है कि इस पर 1500 किलोग्राम से 3000 किलोग्राम वजनी हथियार लगाए जा सकते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एसएफसी तथा सशस्त्र बलों को इस सफल परीक्षण के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मिसाइल का सफल विकास और इसकी तैनाती सशस्त्र बलों के लिए एक उत्कृष्ट ताकत साबित होगी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने इस सफल उड़ान परीक्षण के लिए एसएफसी और डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की।