प्रतिक्रिया | Saturday, December 21, 2024

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लोकसभा में विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा- भारत और चीन सीमा विवाद सुलझाने के लिए कई दशकों से कर रहे हैं बातचीत

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को लोकसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने चीन से जुड़े हालिया घटनाक्रम पर जानकारी दी। विदेश मंत्री ने लोकसभा में कहा, “हमारे (भारत-चीन) संबंध 2020 से असामान्य हुए, जब चीनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता भंग हुई थी। हाल के घटनाक्रम, जो तब से हमारे निरंतर राजनयिक जुड़ाव को दर्शाते हैं, ने हमारे संबंधों को कुछ सुधार की दिशा में आगे बढ़ाया है।”

अक्टूबर में दोनों देशों के बीच सीमा पर सैनिकों की वापसी को लेकर हुआ समझौता

बताना चाहेंगे अक्टूबर में भारत और चीन के बीच सीमा पर सैनिकों की वापसी को लेकर समझौता हुआ था। विदेश मंत्री ने कहा, “सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के अभाव में भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं हो सकते। शांति और सौहार्द की बहाली ही शेष संबंधों को आगे बढ़ाने का आधार होगी।”

सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारे संबंधों के विकास के लिए एक शर्त

विदेश मंत्री ने कहा, “स्पष्ट है कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारे संबंधों के विकास के लिए एक शर्त है। आने वाले दिनों में, हम सीमा क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों के प्रभावी प्रबंधन के साथ-साथ तनाव कम करने पर भी चर्चा करेंगे। विदेश मंत्री वांग यी के साथ मेरी हाल की बैठक में, हम इस बात पर सहमत हुए कि विशेष प्रतिनिधि और विदेश सचिव स्तर के तंत्र जल्द ही बैठक करेंगे।”

विदेश मंत्री ने भारत के तीन प्रमुख सिद्धांतों की पुष्टि की

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत के तीन प्रमुख सिद्धांतों की पुष्टि की- एलएसी के प्रति सख्त सम्मान और उसका पालन, यथास्थिति में एकतरफा बदलाव न करना और पिछले समझौतों का पालन करना। उन्होंने कहा, “सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति पर मजबूत और सैद्धांतिक रुख और संबंधों की समग्रता के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण पिछले चार वर्षों से चीन के साथ हमारे जुड़ाव का आधार रहा है।”

21 अक्टूबर को भारत ने चीन के साथ सीमा समझौते पर पहुंचने की घोषणा की थी, जिससे लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध समाप्त होने की शुरुआत हुई।

अगले दिन समझौते की पुष्टि करते हुए बीजिंग ने कहा कि ‘प्रासंगिक मामलों’ पर समाधान हो गया है और वह समझौते की शर्तों को लागू करने के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा।

38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीन का अवैध कब्जा

विदेश मंत्री ने कहा कि सदन इस तथ्य को जानता है कि 1962 में विवाद के कारण चीन हमारे 38,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर अक्साई चीन में अवैध कब्जा जमाए है। पाकिस्तान ने 1963 में हमारे उस 5180 वर्ग किमी क्षेत्र को अवैध रूप से चीन के हवाले कर दिया जो 1948 से पाक के पास था। 

सीमा विवाद सुलझाने के लिए कई दशकों से कर रहे बातचीत

आगे जोड़ते हुए उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कई दशकों से बातचीत कर रहे हैं। हालांकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) तो है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच आम सहमति नहीं है।

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आखरी अपडेट: 20th Dec 2024