प्रतिक्रिया | Friday, November 22, 2024

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समस्याओं का समाधान रणभूमि से नहीं बल्कि बातचीत से निकालने की जरूरत: पीएम मोदी 

“टाइफून यागी” से प्रभावित लोगों के प्रति प्रधानमंत्री मोदी ने गहरी संवेदनाएं जताई । उन्‍होंने कहा इस कठिन घड़ी में ऑपरेशन सद्भाव के जरिये हमने मानवीय सहायता उपलब्ध कराई है। साथियों भारत ने हमेशा से आसियान एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है। भारत के इंडो पैसिफिक विज़न और क्‍वाड सहयोग के केंद्र में भी आसियान है। भारत के “भारत-प्रशांत महासागरीय पहल” और “आसियान भारत-प्रशांत पर दृष्टिकोण” के बीच गहरी समानताएं हैं। एक फ्री, ओपन, समावेशी, समृद्ध और नियम आधारित इंडो-पैसिफ़िक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।

दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र के हित में है। हमारा मानना है कि समुद्री गतिविधियां अन्क्लोस के अंतर्गत संचालित होनी चाहिए। नेविगेशन की आजादी और एयर स्पेस सुनिश्चित करना आवश्यक है। एक ठोस और प्रभावी नियम बनाया जाना चाहिए। और इसमें क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर अंकुश नहीं लगाए जाने चाहिए।

हमारी दृष्टि विकासवाद की होनी चाहिए न कि विस्तारवाद की। म्यांमार की स्थिति पर हम आसियान दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं। हम फाइव प्‍वाइंट कन्सेन्सस का भी समर्थन करते हैं। साथ ही हमारा मानना है कि मानवीय सहायता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है और लोकतंत्र की बहाली के लिए उपयुक्त कदम भी उठाए जाने चाहिए। हमारा मत है कि इसके लिए म्यांमार को अलग-थलग नहीं बल्कि शामिल करना होगा। एक पड़ोसी देश के नाते भारत अपना दायित्व निभाता रहेगा।

विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहे संघर्षों का सबसे नकारात्मक प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर हो रहा है। सभी चाहते हैं कि  यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया जल्द से जल्द शांति और स्थिरता की बहाली हो। मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान रणभूमि से नहीं निकल सकता।

संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का आदर करना आवश्यक है। मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए बातचीत और कूटनीति को प्रमुखता देनी होगी। विश्वबंधु के दायित्व को निभाते हुए भारत इस दिशा में हर संभव योगदान करता रहेगा। आतंकवाद भी वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। इसका सामना करने के लिए मानवता में विश्वास रखने वाली ताकतों को एकजुट होकर काम करना ही होगा। साइबर और समुद्री स्पेस के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को भी बल देना होगा।

नालंदा का पुनरुद्धार ईस्ट एशिया सम्‍मेलन में की गयी हमारी कमिटमेंट थी। इस वर्ष जून में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करके हमने इसे पूरा किया है। मैं यहां उपस्थित सभी देशों को नालंदा में होने वाले उच्च शिक्षा सम्मेलन प्रमुख के रूप में आमंत्रित करता हूं।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। आज की इस समिट के शानदार आयोजन के लिए मैं प्रधानमंत्री सिपान दोन का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। मैं अगला अध्‍यक्ष मलेशिया को अपनी शुभकामनाएं देता हूं और उनकी सफल अध्यक्षता के लिए भारत की ओर से पूर्ण समर्थन का विश्वास दिलाता हूं।

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आखरी अपडेट: 22nd Nov 2024