प्रतिक्रिया | Sunday, February 23, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

एक पेड़ माँ के नाम: देशभर में अभियान को मिल रही व्यापक सफलता, वनरोपण में उत्तर प्रदेश सबसे आगे

एक पेड़ माँ के नाम अभियान को देशभर में रफ्तार मिल रही है। ऐसे में एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के साथ वनरोपण में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के साथ राजस्थान ने लक्ष्य से 2.5 गुना अधिक बढ़त हासिल की है।

मार्च 2025 तक 140 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य

दरअसल, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के बुद्ध जयंती पार्क में पीपल का पौधा लगाकर परिवर्तनकारी अभियान #एक_पेड़_माँ_के_नाम की शुरुआत की। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से शुरू की गई इस पहल का लक्ष्य सितंबर 2024 तक 80 करोड़ पेड़ और मार्च 2025 तक 140 करोड़ पेड़ लगाना है। यह अभियान “पूरी सरकार” और “सम्‍पूर्ण समाज” के दृष्टिकोण का अनुसरण करता है, जिसमें नागरिकों, समुदायों और स्थानीय प्रशासन को भारत के हरित आवरण को बहाल करने के लिए एक ठोस प्रयास में शामिल किया गया है। #एक_पेड़_माँ_के_नाम अभियान को मिली प्रतिक्रिया बेहद सकारात्मक रही है, जिसमें अनेक राज्य तय समय से पहले ही अपने वृक्षारोपण लक्ष्य से आगे निकल चुके हैं।

राज्य ने पेड़ लगाने का लक्ष्य किया हासिल

अरुणाचल प्रदेश (1.74 करोड़), असम (3.17 करोड़), छत्तीसगढ़ (2.04 करोड़), गुजरात (15.5 करोड़), गोवा (5.4 लाख), हरियाणा (12.20 करोड़), राजस्थान (5.5 करोड़), मध्य प्रदेश (4.41 करोड़), पंजाब (94 लाख), नागालैंड (34.6 लाख), ओडिशा (4.3 करोड़), तेलंगाना (8.34 करोड़) और उत्तर प्रदेश (26.5 करोड़) ने मजबूत सामुदायिक भागीदारी के साथ सितंबर 2024 के लक्ष्यों को पार कर लिया है।
इसके अलावा, बिहार (1.46 करोड़), केरल (11.8 लाख), महाराष्ट्र (1.78 करोड़), सिक्किम (12 लाख) और उत्तराखंड (82 लाख) राज्यों ने अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अलावा, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, पुडुचेरी और तमिलनाडु मानसून के मौसम के अनुरूप अपनी वृक्षारोपण गतिविधियों के लिए कमर कस रहे हैं।
सामुदायिक भागीदारी और सरकारी सहयोग पर जोर देते हुए, इस पहल का उद्देश्य न केवल माताओं को सम्मानित करना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अधिक हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य का निर्माण करना भी है।

आगंतुकों: 18508917
आखरी अपडेट: 23rd Feb 2025