प्रतिक्रिया | Friday, November 22, 2024

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Election 2024: छठे चरण के मतदान से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, प्रति बूथ डेटा प्रकाशित करने का निर्देश देने से इनकार

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने प्रति बूथ डाले गए मतदान के वास्तविक आंकड़े 48 घंटे के अंदर प्रकाशित करने और चुनाव आयोग की वेबसाइट पर फॉर्म 17सी डेटा अपलोड करने का निर्वाचन आयोग को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर कोई भी आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने कहा कि 2019 में दाखिल याचिका की मांग को बीच चुनाव में अंतरिम आवेदन के जरिए दोबारा उठाया गया है। हम इसे खारिज नहीं कर रहे हैं। इस याचिका पर ग्रीष्मावकाश के बाद सुनवाई करेंगे।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव के पांच चरण हो चुके हैं। अभी निर्वाचन आयोग पर प्रक्रिया बदलने के लिए दबाव डालना सही नहीं होगा। निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता का मकसद वोटर को भ्रमित करना है। याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका 26 अप्रैल को ही खारिज की थी।

कोर्ट में क्या हुई सुनवाई
कोर्ट ने 17 मई को निर्वाचन आयोग को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील अमित शर्मा से पूछा था कि आयोग को फॉर्म 17सी को वेबसाइट पर अपलोड करने में क्या परेशानी है। तब शर्मा ने कहा था कि इस प्रक्रिया में समय लगता है और ये रातों-रात पूरा नहीं हो सकता है। आयोग हर बूथ से ये फॉर्म लेता है। तब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा था कि क्या हर बूथ का मतदान अधिकारी निर्वाचन अधिकारी को फॉर्म 17सी भेजता है। तब शर्मा ने कहा था कि इसमें समय लगता है और कई बार वो मतदान के दिन नहीं पहुंच पाता है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि ठीक है दूसरे दिन पहुंचता है। उसके बावजूद आप क्यों नहीं अपलोड करते हैं। तब शर्मा ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी हर आंकड़े को देखता है कि कहीं उनमें अंतर तो नहीं है।

क्या थी याचिका
दरअसल, शीर्ष अदालत एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मतदान के 48 घंटों के भीतर लोकसभा चुनाव 2024 में डाले गए वोटों की संख्या सहित सभी मतदान केंद्रों पर मतदान के अंतिम प्रमाणित डेटा का खुलासा करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान के आंकड़ों को प्रकाशित करने में चुनाव आयोग बहुत देरी कर रहा है। इससे आंकड़ों में बड़े पैमाने पर बदलाव की आशंका पैदा हो गई है। याचिका में कहा गया था कि वर्तमान लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग ने कई दिनों के बाद आंकड़ा प्रकाशित किया। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हुआ जिसके आंकड़े 11 दिनों के बाद प्रकाशित किए गए। दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को हुआ, जिसके आंकड़े 4 दिनों के बाद प्रकाशित किए गए।

याचिका में कहा गया था कि निर्वाचन आयोग ने दोनों चरणों के मतदान के दिन जो शुरुआती आंकड़े जारी किए, उनमें और अंतिम आंकड़ों में 5 फीसदी से ज्यादा का अंतर था। निर्वाचन आयोग की ओर से वास्तविक आंकड़ों को जारी करने में कई दिनों की देरी से मतदाताओं के मन में संदेह पैदा होता है। ऐसे में निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया जाए कि वो मतदान के बाद तुरंत मतदान का आंकड़ा प्रकाशित करे।

 

चुनाव आयोग ने भी रखा अपना पक्ष
इससे पहले, ईसीआई ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था और कहा था कि फॉर्म 17सी (प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकॉर्ड) पर आधारित मतदाता मतदान डेटा मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा करेगा क्योंकि इसमें डाक मतपत्रों की गिनती भी शामिल होगी। ईसीआई ने तर्क दिया था कि ऐसा कोई कानूनी अधिकार नहीं है जिसका दावा सभी मतदान केंद्रों पर मतदाता मतदान के अंतिम प्रमाणित डेटा को प्रकाशित करने के लिए किया जा सके।

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आखरी अपडेट: 22nd Nov 2024