निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए आज (शुक्रवार) 11 राज्यों के नगर निगम आयुक्तों और चयनित जिला चुनाव अधिकारियों के साथ बैठक करेगा। इस बैठक में उन जिलों के चुनाव अधिकारी और निगम आयुक्त शामिल होंगे जहां पिछले आम चुनावों में सबसे कम मतदान हुआ। बैठक के दौरान कुछ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कम मतदान के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाएगा और लक्षित और विशिष्ट कार्य योजना तैयार की जाएगी।
बैठक में ये अधिकारी होंगे शामिल
इस बैठक में 11 राज्यों के नगर निगम आयुक्त और चयनित जिला चुनाव अधिकारी शामिल होंगे। नई दिल्ली में होने वाले इस सम्मेलन की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के साथ चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू करेंगे। इस दौरान आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा होगी। इस संबंध में निर्वाचन आयोग के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर जानकारी दी गई है।
https://x.com/SpokespersonECI/status/1775911853081964894
लक्षित और विशिष्ट कार्य योजनाएं करेगा तैयार
यह कुछ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कम वोटिंग की समस्या के समाधान के लिए लक्षित और विशिष्ट कार्य योजनाएं तैयार करेगा। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, ठाणे, नागपुर, पटना साहिब, लखनऊ और कानपुर के नगर आयुक्त और बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जिला चुनाव अधिकारी बैठक में भाग लेंगे।
2019 के लोकसभा चुनावों में यहां राष्ट्रीय औसत 67.40 % से कम हुआ मतदान
ज्ञात हो, मुख्य चुनाव आयुक्त ने विभिन्न अवसरों पर कम भागीदारी के कारणों के रूप में शहरी उदासीनता और ग्रामीण क्षेत्रों से प्रवासन की चुनौती पर प्रकाश डाला है। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान, 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों अर्थात बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर और झारखंड में राष्ट्रीय औसत 67.40 प्रतिशत से कम मतदान हुआ।
सबसे कम मतदान वाले 50 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से 17 प्रमुख शहर
वहीं शहरी क्षेत्रों में, सबसे कम मतदान वाले 50 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से 17 महानगरीय क्षेत्रों या प्रमुख शहरों में पाए गए जो चुनावों के प्रति शहरी उदासीनता की दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। इसके अलावा, नौ राज्यों में सबसे कम मतदान वाले 50 से अधिक ग्रामीण संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान विशिष्ट मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए रणनीति विकसित करने के लिए की गई है।