भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को नई दिल्ली में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का दो दिवसीय सम्मेलन शुरू किया।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने अपने संबोधन में देश भर के सभी सीईओ, डीईओ, ईआरओ, बीएलओ सहित सभी अधिकारियों से पारदर्शी तरीके से काम करने और सभी वैधानिक दायित्वों को पूरी लगन से पूरा करने तथा मौजूदा कानूनी ढांचे यानी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951, मतदाता पंजीकरण नियम 1960, चुनाव संचालन नियम 1961 और समय-समय पर ईसीआई द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार काम करने का आह्वान किया।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने अधिकारियों को राजनीतिक दलों के प्रति सुलभ और उत्तरदायी होने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सभी वैधानिक स्तरों पर सभी दलों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जानी चाहिए ताकि संबंधित सक्षम प्राधिकारी यानी ईआरओ या डीईओ या सीईओ द्वारा मौजूदा वैधानिक ढांचे में किसी भी मुद्दे को हल किया जा सके। प्रत्येक सीईओ द्वारा विषय संबंधित की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 31 मार्च, 2025 तक उनके संबंधित डीईसी को प्रस्तुत की जानी है।
आपको बता दें, ज्ञानेश कुमार के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से यह पहला ऐसा सम्मेलन है। सीईसी और निर्वाचन आयुक्त (ईसी) डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने सीईओ के साथ कई विषयों पर बातचीत की, जो स्थापित कानूनी ढांचे के भीतर देश में चुनाव प्रबंधन में सुधार का मार्ग प्रशस्त करेंगे। वहीं, पहली बार प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र से एक जिला शिक्षा अधिकारी और एक ईआरओ इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी सीईओ, डीईओ, आरओ, ईआरओ को कानून और ईसीआई के निर्देश में स्पष्ट रूप से वर्णित अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में पूरी तरह से जानकारी होनी चाहिए है।
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत के सभी नागरिक जो 18 वर्ष से अधिक आयु के हैं, संविधान के अनुच्छेद 325 और अनुच्छेद 326 के अनुसार मतदाता के रूप में पंजीकृत हो।
उन्होंने निर्देश दिया कि सभी बीएलओ को मतदाताओं के साथ विनम्र व्यवहार करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी व्यक्ति झूठे दावों का उपयोग करकें चुनावी कर्मचारी या अधिकारी को भयभीत न करें।
इस सम्मेलन में अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे प्रत्येक मतदान केंद्र में 800-1200 मतदाताओं की उपस्थिति सुनिश्चित करने का प्रयास करें तथा यह सुनिश्चित करें कि मतदान केंद्र प्रत्येक मतदाता के निवास से 2 किलोमीटर की दूरी पर हो।
ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान को आसान बनाने के लिए उचित न्यूनतम सुविधाओं वाले मतदान केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए। शहरी क्षेत्रों में मतदान बढ़ाने के लिए बड़ी इमारतों के साथ-साथ झुग्गी बस्तियों में भी मतदान केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।