आज (सोमवार) का दिन भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक ऐतिहासिक दिन है, औपनिवेशिक युग के तीन पुराने कानून समाप्त हो गए। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 164 साल पुराने औपनिवेशिक विधानों की जगह लागू हुए हैं। इसमें डिजिटल साक्ष्य में बहुत जोर दिया गया है इसका मतलब है कि अब साक्ष्य डिजिटली रिकॉर्ड होंगे। सर्च और जब्ती के वक्त वीडियोग्राफी को आवश्यक कर दिया गया है जो केस का हिस्सा होगी और इससे निर्दोष नागरिकों को फंसाया नहीं जा सकेगा। पुलिस द्वारा ऐसी रिकॉर्डिंग के बिना कोई भी चार्जशीट वैध नहीं होगी।
उल्लेखनीय है, ज्यादातर कानूनी प्रक्रियाओं को डिजिटलाइज करने का प्रावधान इन कानूनों में किया गया है। नए आपराधिक कानूनों में अत्याधुनिकतम तकनीकों को शामिल किया गया है। दस्तावेजों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल और मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है। इससे अदालतों में लगने वाले कागजों के अंबार से मुक्ति मिलेगी।
एफआईआर से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है। ज्ञात हो कि अभी सिर्फ आरोपी की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो सकती है, लेकिन अब पूरा ट्रायल, क्रॉस क्वेश्चनिंग सहित, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगा। शिकायतकर्ता और गवाहों का परीक्षण, जांच-पड़ताल और मुकदमे में साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग और उच्च न्यायालय के मुकदमे और पूरी अपीलीय कार्यवाही भी अब डिजिटली संभव होगी।
गौरतलब हो, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और इस विषय के देशभर के विद्वानों और तकनीकी एक्सपर्ट्स के साथ चर्चा कर इसे बनाया गया है। सर्च और जब्ती के वक्त वीडियोग्राफी को आवश्यक कर दिया गया है जो केस का हिस्सा होगी और इससे निर्दोष नागरिकों को फंसाया नहीं जा सकेगा। पुलिस द्वारा ऐसी रिकॉर्डिंग के बिना कोई भी चार्जशीट वैध नहीं होगी।
तीन नए आपराधिक कानूनों पर स्पेशल सीपी छाया शर्मा ने मीडिया से कहा, “आज से 3 नए आपराधिक कानून लागू होना शुरू गए हैं। आज से इसमें एफआरआई दर्ज होना भी शुरू हो जाएंगे। इस विषय में हमने ट्रेनिंग 5 फरवरी से शुरू कर दी थी। जो जांच में बदलाव लाए गए हैं उसको हमने बहुत ठीक से समझाया है। इस कानून से हम दंड से न्याय की ओर जा रहे हैं। इसमें डिजिटल साक्ष्य में बहुत जोर दिया गया है इसका मतलब है कि अब साक्ष्य डिजिटली रिकॉर्ड होंगे और जब डिजिटली रिकॉर्ड होता है तो बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किया जा सकता। डिजिटली रिकॉर्ड से कोर्ट को समझने में ज्यादा आसानी होगी।”
उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस ने ऐप भी बनाया है, दिल्ली पुलिस के करीब 45000 लोग बिलकुल प्रशिक्षित हैं हम इसके लिए तैयार हैं। हमने एक पॉकेट बुकलेट तैयार की है जिसे 4 भागों में विभाजित किया गया है और इसमें आईपीसी से लेकर बीएनएस तक, बीएनएस में जोड़ी गई नई धाराएं, श्रेणियां जो अब 7 साल की सजा के अंतर्गत आती हैं और एक तालिका शामिल है इसमें रोजमर्रा की पुलिसिंग के लिए आवश्यक अनुभाग शामिल हैं।
वहीं, 3 नए आपराधिक कानूनों पर पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने कहा कि इससे मुझे सबसे बड़ा लाभ यह दिखता है कि इससे जवाबदेही, पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी, पीड़ितों के अधिकार, अदालतों में त्वरित सुनवाई, अभियुक्तों के अधिकारों के लिए पुलिस को फिर से प्रशिक्षण मिल रहा है। सबसे ज्यादा टेक्नोलॉजी का रेजोल्यूशन हो रहा है क्योंकि अब एफआरआई टेक्नोलॉजिकल हो जाएंगी, चार्जशीट टेक्नोलॉजी हो जाएंगी।