सीपीडब्ल्यूडी के सहायक एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों के एक ग्रुप ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने युवा इंजीनियरों को सलाह दी कि वे साइलो में काम न करें बल्कि सहयोगात्मक, दूरदर्शी और प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण अपनाएं। बता दें कि वह राष्ट्रपति भवन में सीपीडब्ल्यूडी (2022 और 2023 बैच) के सहायक कार्यकारी इंजीनियरों के एक समूह को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि युवा इंजीनियर जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से अवगत हैं और इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा-कुशल समाधान अपनाने की आवश्यकता है। उनके द्वारा बनाई जाने वाली इमारतें, सड़कें और अन्य बुनियादी ढाँचे टिकाऊ, ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण-अनुकूल होने चाहिए। उन्हें अपने दृष्टिकोण में नवोन्वेषी होना चाहिए ताकि वे उभरती चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपट सकें।
उन्होंने कहा कि 3डी प्रिंटिंग के युग में भवन निर्माण तकनीक में व्यापक बदलाव आया है। बुनियादी ढांचे और निर्माण परियोजनाओं को अब जलवायु-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल बनाया जा सकता है। हरित निर्माण समय की मांग है। निर्माण के नवीन तरीकों में इस क्षेत्र को बदलने की क्षमता है। सटीकता के साथ डिजाइन बनाकर, वे पारंपरिक निर्माण की सीमाओं को तोड़ सकते हैं। उन्हें न केवल निर्माण प्रक्रिया में तेजी लानी है बल्कि इष्टतम संसाधन उपयोग के माध्यम से अपशिष्ट को कम करना भी सुनिश्चित करना है।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोट, ड्रोन आदि जैसी नई और उभरती प्रौद्योगिकियां पारंपरिक सोच को बाधित कर रही हैं। हालांकि, इनका उपयोग दक्षता बढ़ाने और सुधारने, प्रक्रियाओं को स्वचालित और अनुकूलित करने, उत्पादकता बढ़ाने और संसाधन प्रबंधन में सुधार करने के लिए किया जा सकता है। राष्ट्रपति ने उनसे उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और एक बेहतर, हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने में सार्थक योगदान देने का आग्रह किया।