केंद्र सरकार ने सोमवार को ‘एमएसएमई के लिए म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी योजना’ शुरू की, जिसकी घोषणा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई थी। इसके अंतर्गत एमएसएमई सेक्टर के अंतर्गत आने वाले उद्यमी प्लांट और मशीनरी के लिए 100 करोड़ रुपये तक का कर्ज 60 फीसदी गारंटी कवरेज के साथ प्राप्त कर सकते हैं।
यह योजना उपकरण/मशीनरी की खरीद के लिए एमसीजीएस-एमएसएमई के तहत पात्र एमएसएमई को स्वीकृत 100 करोड़ रुपये तक की क्रेडिट सुविधा के लिए सदस्य ऋण संस्थानों (एमएलआई) को राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा 60 प्रतिशत गारंटी कवरेज प्रदान करेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने योजना की शुरुआत करते हुए मुंबई में योजना के तहत पात्र एमएसएमई को मंजूरी पत्र भी वितरित किए।
इस योजना से एमएसएमई के लिए ऋण की आसान उपलब्धता की सुविधा मिलने और भारत में विनिर्माण क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। योजना के अनुसार, उधारकर्ता एक वैध उद्यम पंजीकरण संख्या के साथ एक एमएसएमई होना चाहिए, गारंटीकृत ऋण राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए, परियोजना लागत अधिक राशि की भी हो सकती है और उपकरण/मशीनरी की न्यूनतम लागत परियोजना लागत का 75 प्रतिशत है।
इसके अतिरिक्त वित्त मंत्री सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यहां हितधारकों के साथ बजट के बाद बातचीत कार्यक्रम के दौरान स्वामी (किफायती और मध्यम आय वाले आवास के लिए विशेष विंडो) फंड से लाभान्वित हुए घर खरीदारों को चाबियां भी सौंपीं। जैसा कि केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित किया गया था, SWAMIH फंड 2 को सरकार, बैंकों और निजी निवेशकों के योगदान के साथ एक मिश्रित वित्त सुविधा के रूप में स्थापित किया जाएगा। वहीं, 15,000 करोड़ रुपये के इस फंड का लक्ष्य अन्य 1 लाख इकाइयों को शीघ्रता से पूरा करना होगा।
कार्यक्रम के दौरान एक मीडिया बातचीत में वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि पिछले तीन बजटों में एमएसएमई में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जिसमें वर्तमान बजट में सरकार द्वारा गारंटीकृत ऋण भी शामिल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का ध्यान पूंजीगत व्यय से उपभोग व्यय की ओर नहीं गया है।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि केंद्र सरकार बीमा क्षेत्र में और अधिक सुधारों पर काम कर रही है, जिसमें 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी गई है। इसके अलावा मौजूदा बजट में बीमा क्षेत्र के लिए एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।