प्रतिक्रिया | Wednesday, February 05, 2025

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19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान, जानें सात चरणों में चुनाव कराने के क्या हैं कारण

आम चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों का प्रचार अपने चरम पर है। इस बार देशभर में 7 चरणों में चुनाव आयोजित किये जायेंगे जिनके रिजल्ट की घोषणा 4 जून को की जाएगी। देश में सात चरण में चुनाव को लेकर कुछ पार्टियों ने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल भी उठाए, जिनका चुनाव आयोग ने जवाब भी दिए। वैसे बता दें कि पिछले यानि 2019 के आम चुनाव में सात चरणों में मतदान हुआ था। लेकिन आखिर चुनाव आयोग सात चरणों में चुनाव के फेवर में क्यों है, आइए जानते हैं।

7 चरण में होने के कारण
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि हम कभी किसी का फेवर या किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई फैसला नहीं लेते हैं। उन्होंने चुनाव के 7 चरण में होने के कई कारण बताएं।
उन्होंने कहा कि तारीखें क्षेत्रों की भूगोल और सार्वजनिक छुट्टियों, त्योहारों और परीक्षाओं जैसे अन्य कारकों के आधार पर तय की जाती हैं। दरअसल, देश के भूगोल को देखें तो नदियां, पहाड़, बर्फ, जंगल, कहीं गर्मी हैं…अगर सुरक्षा बलों की गतिविधियों के बारे में सोचें, वे देश के एक छोर से दूसरे छोर तक इन चरणों के बीच बचे समय में आगे बढ़ेंगे, अलग-अलग जगहों पर आने-जाने में उन्हें तीन से चार दिन लगते हैं। उनके ऊपर प्रेशर कभी देखिए कितना होता होगा।

एग्जाम, त्योहार से चुनाव न हो बाधित
इसी तरह कभी इलेक्शन मशीनरी की पूरी प्रॉसेस तो कभी एग्जाम, कभी त्योहार। बीच-बीच में त्योहार होने की वजह से जब हम कैलेण्डर में एक डेट फिक्स करते हैं दूसरी डेट पर चर्चा होने लगती है। दूसरी फिक्स करते हैं कोई प्रॉब्लम आ जाती है। इसके अलावा कई बड़े राज्यों में वहां की जनसंख्या को और निर्वाचन क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए अधिक चरणों का चुनाव कराया जा रहा है।

सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए मिले समय
चुनाव के आयोग के मुताबिक ऐसे कई कारक हैं जो चुनाव कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने में योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए, सुरक्षा बलों को दो चुनाव चरणों के बीच अंतर-राज्य जानें और पुनः तैनाती के लिए कम से कम छह दिनों की आवश्यकता होती है। यदि बीच में कोई त्यौहार आता है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होता है कि महत्वपूर्ण दिन जैसे नामांकन, नाम वापसी की अंतिम तिथि या यहां तक कि मतदान का दिन भी उसके साथ मेल न खाए, क्योंकि इससे संपूर्ण कार्य बाधित हो सकता है।

वैसे भी आजादी के बाद से अब तक देश की जनसंख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में सभी चुनाव अधिकारियों पर दबाव और जनसंख्या जैसे तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग अलग-अलग करके राज्यों को दौरा भी करती है। उन राज्यों के अधिकारियों से बैठक कर उन इलाकों के भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश को समझने के बाद भी चुनाव की तारीख का ऐलान किया जाता है।

 

(by Divya Rai)

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आखरी अपडेट: 5th Feb 2025