आयुष मंत्रालय ने बुधवार को आयुष भवन में राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा कार्यक्रम का एक सत्र आयोजित किया, जिसका उद्देश्य अपने कर्मचारियों के सेवा उन्मुखीकरण और पेशेवर कौशल को बढ़ाना था। यह कार्यक्रम मिशन कर्मयोगी के तहत क्षमता निर्माण आयोग के सहयोग से आयोजित किया गया था।
मंत्रालय के अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत जिम्मेदारियों और सार्वजनिक सेवा के व्यापक प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करना था।
आयुष मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कार्यक्रम निदेशक डॉ. सुबोध कुमार के नेतृत्व में तथा शिप्रा सिंह द्वारा संचालित सत्र के दूसरे चरण में संवादात्मक प्रारूप अपनाया गया, जिसमें पारंपरिक व्याख्यानों के बजाय व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इसके अतिरिक्त कर्मचारियों को उनकी भूमिकाओं और योगदानों पर विचार करने में मदद करने के लिए चर्चाएँ, टीम अभ्यास और समस्या-समाधान गतिविधियाँ शामिल की गईं।
आपको बता दें, कार्यक्रम में आत्म-जागरूकता, प्रेरणा और नेतृत्व जैसे विषयों पर केंद्रित 4 सत्र शामिल थे। आयुर्वेद, योग और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में चल रही पहलों से संबंधित केस स्टडीज को व्यावहारिक संदर्भ प्रदान करने के लिए साझा किया गया।
इससे पहले 18 मार्च को आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने सत्र के पहले चरण का उद्घाटन किया था, जिसमें उन्होंने उत्तरदायी और कुशल कार्यबल के निर्माण के महत्व पर प्रकाश डाला था।
उन्होंने प्रतिभागियों को सेवा वितरण में सुधार के लिए अपने दैनिक दायित्वों में प्रशिक्षण लागू करने के लिए भी प्रोत्साहित किया था।