ब्राजील के राष्ट्रपति लूला -दा-सिल्वा ने सोमवार को (स्थानीय समयानुसार) जी20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के शिखर सम्मेलन की शुरुआत करते हुए भूख और गरीबी से लड़ने के लिए एक वैश्विक गठबंधन का ऐलान किया। इस पहल का समर्थन करीब 80 से अधिक देशों ने किया है। रियो -डी-जेनेरियो के मॉडर्न आर्ट म्यूजियम में आयोजित इस दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन में व्यापार, जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है। यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जनवरी में पद संभालने के बाद कई बड़ी नीतिगत बदलाव लाने की बात कर रहे हैं। इनमें व्यापार शुल्क लगाना और यूक्रेन युद्ध का समाधान जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।
लूला -दा- सिल्वा ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव दुनिया भर में देखे जा रहे हैं। उन्होंने भूख, गरीबी और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए नेताओं से ठोस कदम उठाने की अपील की। लूला द्वारा शुरू किया गया गठबंधन, भूख और गरीबी मिटाने के वैश्विक प्रयासों को समन्वित करेगा। इसे अफ्रीकी संघ, यूरोपीय संघ, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, विकास बैंकों और रॉकफेलर फाउंडेशन व बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे संस्थानों का समर्थन मिला है।
भूख और गरीबी प्राकृतिक घटना का नहीं बल्कि राजनीतिक निर्णयों का परिणाम है : लूला -दा- सिल्वा
लूला ने कहा, “भूख और गरीबी किसी प्राकृतिक घटना का परिणाम नहीं हैं, बल्कि ये राजनीतिक निर्णयों का नतीजा हैं। एक ऐसी दुनिया में जो हर साल लगभग 6 बिलियन टन भोजन का उत्पादन करती है, भूख और गरीबी अस्वीकार्य है। पिछले साल की तरह इस बार भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस सम्मेलन में भाग नहीं लिया है बल्कि रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव कर रहे हैं।
जी-20 सम्मेलन के दौरान सुरक्षा को लेकर रियो डी जेनेरियो में व्यापक इंतजाम किए गए हैं। सेना और पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जिनका कार्यकाल अब खत्म होने के करीब है, सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
इस बीच ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने सुपर-अमीरों पर टैक्स लगाने का मुद्दा जी20 के एजेंडे में शामिल किया है। हालांकि, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई जैसे नेताओं ने इस पर विरोध जताया है। जी-20 शिखर सम्मेलन में नेताओं के सामने भूख, गरीबी, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक सहयोग जैसे मुद्दों पर ठोस निर्णय लेने का अवसर है।