देश में आयुष पर बढ़ते विश्वास के बाद अब वैश्विक स्तर पर आर्युवेद को पहचान मिल गई है। ऐसे में राष्ट्रीय आयुष सम्मेलन के संयोजक डॉ. बिपिन कुमार ने कहा है कि आयुष देश की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धित है। इसे सारी दुनिया में पहुंचाना जरूरी है। इसके साथ ही आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके प्रयासों से आयुष देश-विदेश में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। उन्होंने यह उद्गार राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित नेशनल आयुष सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किए।
आयुष का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ा
आयुष संवर्द्धन सम्मेलन का आयोजन आयुष्मान और इंटीग्रेटेड आयुष काउंसिल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। सम्मेलन के संयोजक डॉ. बिपिन कुमार ने कहा कि आज प्रशिक्षित आयुष सहायकों की अत्यंत आवश्यकता है। अगर इनकी पर्याप्त व्यवस्था हो तो चिकित्सा जगत में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है। वर्तमान परिदृश्य में आयुष का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ा है। आयुष स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और पहुंच में वृद्धि हुई है। आयुष शिक्षा और अनुसंधान को मजबूती मिली है। सम्मेलन विभिन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का विषय “विकसित भारत का आधार-आयुष से आरोग्य” था।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में रामकृष्ण मिशन आश्रम दिल्ली के सचिव स्वामी सर्वलोकनंद महाराज ने आयुष की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए आयुर्वेदिक-योग चिकित्सा पद्धति की सराहना की।अय्यर ने आयुर्वेद एवं होम्योपैथी के महत्व पर बात की। उन्होंने केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना की तारीफ की। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर से स्वस्थ मन और स्वस्थ मन से स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण होता है। साथ ही जल,वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को ग्रामीण अंचलों के रोचक उदाहरणों से प्रस्तुत किया।