केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने 100 प्रतिशत ग्रामीण साक्षरता हासिल करने में सरकारी प्रयासों और चुनौतियों को लेकर लोकसभा में जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पिछले दशक में ग्रामीण भारत की साक्षरता दर में शानदार वृद्धि देखी गई है, जो सात वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के बीच 2011 में 67.77 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 77.5 प्रतिशत हो गई है।
उन्होंने बताया कि यह वृद्धि मुख्य रूप से महिला साक्षरता में 14.5 प्रतिशत अंकों की वृद्धि से जुड़ी थी, जो इस अवधि के दौरान 57.93 प्रतिशत से बढ़कर 70.4 प्रतिशत हो गई। पुरुष साक्षरता में भी सुधार हुआ है, जो समान अवधि में 77.15 प्रतिशत से बढ़कर 84.7 प्रतिशत हो गई है।
सदन में साक्षरता को लेकर सरकारी प्रयासों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री चौधरी ने कहा, “वयस्कों के बीच ग्रामीण साक्षरता सहित साक्षरता दर में सुधार करने के लिए भारत सरकार ने कई केंद्र प्रायोजित योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे समग्र शिक्षा अभियान, साक्षर भारत, पढ़ना लिखना अभियान और चल रहे उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम।”
उन्होंने वयस्क साक्षरता को बढ़ावा देने में नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (एनआईएलपी) की भूमिका पर जोर दिया, जिसे लोकप्रिय रूप से ‘उल्लास योजना’ के रूप में जाना जाता है। अप्रैल 2022 में शुरू किया गया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के साथ जुड़ा यह कार्यक्रम 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों को लक्षित करता है।
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा, “हमने ‘उल्लास’ के तहत 2 करोड़ से ज्यादा शिक्षार्थियों को सफलतापूर्वक रजिस्टर किया है और 1 करोड़ से ज्यादा लोग पहले ही मूलभूत साक्षरता और न्यूमरेसी असेसमेंट टेस्ट के लिए उपस्थित हो चुके हैं। यह योजना हाइब्रिड मोड में लागू की गई है, जिसमें ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह के टूल की सुविधा मिलती है। योजना से जुड़ा मोबाइल ऐप 26 भाषाओं में काम करता है।”
केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने सदन को जानकारी देते हुए बताया कि महाराष्ट्र ने ‘उल्लास योजना’ के तहत तेजी से प्रगति की है। महाराष्ट्र में 10.87 लाख से अधिक शिक्षार्थी रजिस्टर्ड हैं और 4 लाख शिक्षार्थी न्यूमरेसी असेसमेंट टेस्ट में शामिल हुए हैं। बिहार ने अभी तक ‘उल्लास’ पहल को लागू नहीं किया है।