प्रतिक्रिया | Saturday, January 18, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

पर्यावरण संरक्षण के लिए देश में कई तरह के प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए एक सकारात्मक खबर आई है। भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन को अपनी चौथी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में 2019 की तुलना में 2020 में 7.93 प्रतिशत की कमी आई है।

केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी
केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक्स पोस्ट में यह जानकारी साझा की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सतत विकास में उदाहरण पेश कर रहा है। यह उपलब्धियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक प्रगति को सार्थक जलवायु कार्रवाई के साथ जोड़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन को पेश की रिपोर्ट
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को भारत की चौथी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (बीयूआर-4) 30 दिसंबर 2024 को प्रस्तुत की गई।रिपोर्ट में भारत की राष्ट्रीय परिस्थितियों, शमन कार्यों, बाधाओं, अंतरालों, संबंधित वित्त, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण आवश्यकताओं के विश्लेषण के बारे में जानकारी भी शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 से 2020 के बीच भारत के सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 36 प्रतिशत की कमी आई है। अक्टूबर 2024 तक स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी 46.52 प्रतिशत थी। वर्ष 2005 से 2021 के दौरान वन एवं वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.29 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक ऊर्जा क्षेत्र ने कुल उत्सर्जन में सबसे अधिक योगदान दिया जो कुल प्रतिशत का 75.66 प्रतिशत है, उसके बाद कृषि (13.72 प्रतिशत), औद्योगिक प्रक्रिया और उत्पाद उपयोग (8.06 प्रतिशत), और अपशिष्ट (2.56 प्रतिशत) है।

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग करना जारी रखा
मंत्रालय के मुताबिक, भारत ने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग करना जारी रखा है। वर्ष 2005 से 2020 के बीच भारत की सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 36 प्रतिशत की कमी आई है। अक्टूबर 2024 तक स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी 46.52 प्रतिशत थी। बड़े जलविद्युत सहित अक्षय ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 203.22 गीगावॉट है और संचयी अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता (बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को छोड़कर) मार्च 2014 के 35 गीगावॉट से 4.5 गुना बढ़कर 156.25 गीगावॉट हो गई है। भारत का वन एवं वृक्ष आवरण लगातार बढ़ा है और वर्तमान में यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है। वर्ष 2005 से 2021 के दौरान 2.29 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया गया है।

आगंतुकों: 15072444
आखरी अपडेट: 17th Jan 2025