प्रतिक्रिया | Monday, December 23, 2024

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आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार बनाने में हाथकरघा उद्योग एक मजबूत कड़ी है। देश में हाथकरघा बुनकरों की कला को सम्मानित करने और हाथकरघा उद्योग को समृद्ध करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हाथकरघा दिवस का आयोजन किया जाता है। देश के कुटीर उद्योग पर नजर डालें तो हथकरघा सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला उद्योग है।

बुनकरों को मिलेगा सम्मान

हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने और उनकी कला को सम्मानित करने के लिए हर साल 7 अगस्त को हथकरघा दिवस मनाया जाता है। इस बार 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है। राजधानी दिल्ली समेत देशभर में हथकरघा दिवस को मनाया जा रहा है। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान हथकरघा क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पांच संत कबीर पुरस्कार और राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ कॉफी टेबल बुक “परम्परा- भारत की चिरस्थायी हथकरघा परम्पराएं” और पुरस्कार सूची का विमोचन करेंगे।

कब और कैसे हुई शुरुआत
दरअसल, पीएम मोदी के प्रयास से सरकार ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का आयोजन शुरू किया है, यह दिवस पहली बार 7 अगस्त 2015 को मनाया गया। इस तिथि का चयन विशेष रूप से स्वदेशी आंदोलन की याद में किया गया था। स्वदेशी आंदोलन 7 अगस्त 1905 को स्वदेशी उद्योगों, विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था।

हथकरघा दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उद्देश्य भारत के हथकरघा कामगारों को सम्मानित और प्रोत्साहित करना है। साथ ही इस क्षेत्र में शामिल हथकरघा बुनकरों में सम्मान का भाव जागृत करना है। इन समारोह का उद्देश्य हथकरघा क्षेत्र के महत्व और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

रोजगार देने में कृषि क्षेत्र के बाद हथकरघा दूसरे स्थान प
हथकरघा क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करता है, जो देश में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है। हथकरघा बुनाई की कला में पारंपरिक मूल्यों से जुड़ाव है और इसके प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट विविधताएं हैं। बनारसी, जामदानी, बालूचरी, मधुबनी, कोसा, इक्कत, पटोला, तसर सिल्क, माहेश्वरी, मोइरांग फी, बालूचरी, फुलकारी, लहरिया, खंडुआ और तंगलिया जैसे कुछ विशिष्‍ट उत्पादों के नाम हैं जिनकी विशिष्ट बुनाई, डिजाइन और पारंपरिक रूपांकन दुनिया भर के ग्राहकों को आकर्षित करता है।

सरकार हथकरघा क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने का प्रयास करती है, जिससे हमारे हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके तथा उनकी उत्कृष्ट शिल्पकला पर उन्हें गौरवान्वित किया जा सके। भारत सरकार ने हथकरघा के लिए विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया हैं, जिसमें शून्य दोष और पर्यावरण पर शून्य प्रभाव वाले उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की ब्रांडिंग की जाती है, ताकि उत्पादों की विशिष्टता को प्रदर्शित करने के अलावा उत्पादों को प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें एक अलग पहचान प्रदान की जा सके।

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आखरी अपडेट: 22nd Dec 2024