सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है। हालांकि जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने अंतरिम जमानत याचिका पर 22 मई को भी सुनवाई करने का आदेश दे दिया।
हेमंत सोरेन की याचिका पर आज करीब डेढ़ घंटे सुनवाई चली। हेमंत सोरेन की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने चुनाव का हवाला देते हुए सुनवाई टालने पर विरोध जताया। कोर्ट ने कहा कि उसके पास दूसरे मामले भी सूचीबद्ध हैं, उन्हें भी सुनना है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि क्या मनी लांड्रिंग के मामले में ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट की ओर से जमानत याचिका खारिज करने के बाद गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई योग्य है।
कोर्ट ने कहा कि जमानत याचिका खारिज करते समय ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने मनी लांड्रिंग के आरोप को सही माना है। तब सिब्बल ने कहा कि सोरेन गिरफ्तारी को चुनौती दे रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाबी हलफनामा में सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने कहा कि हेमंत सोरेन संपत्तियों के अवैध अधिग्रहण और कब्जे में लिप्त रहे हैं।
ईडी ने कहा है कि मनी लांड्रिंग कानून की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए बयानों से पता चलता है कि रांची के बरियातू में 8.86 एकड़ पर हेमंत सोरेन का कब्जा है और उसका इस्तेमाल हेमंत सोरेन गुप्त रूप से कर रहे थे। ईडी ने कहा है कि चुनाव प्रचार करना न तो संवैधानिक अधिकार है और न मौलिक अधिकार है। ईडी ने आशंका जताई है कि अगर हेमंत सोरेन को रिहा किया गया तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं।