2010 से नए वार्षिक एचआईवी संक्रमण में 44 प्रतिशत की कमी आई है, जो वैश्विक कमतर दर 39 प्रतिशत से बेहतर है। ये जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल दी है।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुके एचआईवी एड्स को समाप्त करने के संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एचआईवी एवं एड्स के खिलाफ लड़ाई में भारत की प्रगति
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में “पुनर्जीवित बहुपक्षवाद: टीबी को एक साथ समाप्त करने की प्रतिबद्धता” विषय पर उच्च स्तरीय साइड इवेंट को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह कार्यक्रम यूएनएड्स, ग्लोबल फंड और पीईपीएफएआर की तरफ से आयोजित किया गया था। केंद्रीय मंत्री ने एचआईवी एवं एड्स के खिलाफ लड़ाई में भारत की प्रगति और रणनीतियों को रेखांकित किया, जिसमें राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (2021-2026) का 5वां चरण भी शामिल है, जिसे भारत सरकार की तरफ से पूरी तरह से वित्त पोषित किया गया है।
एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की भूमिका
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक रूप से एचआईवी और सिफलिस परीक्षण की सुविधा प्रदान करता है, जिसमें सालाना 30 मिलियन से अधिक मुफ्त एचआईवी परीक्षण किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, 1.7 मिलियन से अधिक लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के माध्यम से मुफ्त एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने दुनिया में एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। भारत वर्तमान में 70 प्रतिशत से अधिक वैश्विक एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की आपूर्ति करता है, जो जरूरतमंद देशों के लिए सस्ती पहुंच सुनिश्चित करता है।