पहलगाम आतंकी हमले के बदले का काउंटडाउन शुरू हो गया है। डीडी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक पहलगाम आतंकी हमले में जिन आतंकियों की सक्रिय भूमिका बताई जा रही है उनके घरों को ध्वस्त किया गया है। इस क्रम में आसिफ शेख और आदिल थोकर के घरों को विस्फोट से ध्वस्त किया गया है।
आतंकवाद पर सेना का एक्शन
इससे पहले पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों की पहचान की गई थी। आतंकियों के नाम आदिल हुसैन थोकर, अली भाई और हाशिम मूसा बताए गए हैं। इनमें से अली भाई और हाशिम मूसा पाकिस्तान के निवासी हैं।
इससे पहले भारतीय सेना प्रमुख पहुंचे जम्मू-कश्मीर
वहीं भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी इस समय जम्मू-कश्मीर में मौजूद हैं। सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए यहां पहुंचे हैं। उन्होंने बादामी बाग कैंट में कोर कमांडर के साथ एक बैठक भी की है।
रक्षा मंत्री ने तीनों सेना प्रमुखों को दिए हैं उचित दिशा-निर्देश
इसके अलावा नॉर्दन कोर के उच्चाधिकारियों के साथ भी उन्होंने समीक्षा बैठक की है। यहां ध्यान ये भी दिया जाना जरूरी है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों से बातचीत की थी और उन्हें उचित दिशा-निर्देश दिए थे।
पीएम मोदी ने खुला ऐलान कर कहा था- ‘आतंकवादी मॉड्यूल को पूरे तरीके से किया जाएगा ध्वस्त’
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह खुला ऐलान किया था कि सभी आतंकवादी मॉड्यूल को पूरे तरीके से ध्वस्त कर दिया जाएगा। उसी के तहत भारतीय सेना प्रमुख का जम्मू-कश्मीर पहुंचना व कोर कमांडर से मुलाकात करना और समीक्षा बैठक करना अहम माना जा रहा है। यही नहीं सेना प्रमुख इसी सिलसिले में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी मुलाकात करने वाले हैं और यहां की स्थितियों के बारे में विचार-विमर्श करने वाले हैं।
22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हुआ था कायराना आतंकवादी हमला
बताना चाहेंगे, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है और पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, केंद्र सरकार ने कई कूटनीतिक उपायों की घोषणा की थी, जिसमें अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) को निलंबित करना और 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को भी निलंबित करना शामिल हैं।